दिल्ली में भूकंप का केंद्र होने का मायने का क्या है? क्या दिल्ली भूकंप के लिहाज से ज़्यादा संकटग्रस्त स्थिति में है?
दिल्लीवालों की सुबह नींद भूकंप के झटकों से खुली. दिल्ली-एनसीआर में सोमवार सुबह 5:36 बजे 4.0 की तीव्रता का भूकंप आया.
इस बीच दो सवाल ज़रूर उठ रहे हैं. पहला ये कि आख़िर दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटकों के वाक़ये बढ़ क्यों रहे हैं और क्या भविष्य के लिए ये बड़ी चिंता का विषय बन सकता है? जानकार सीस्मिक ज़ोन-4 में आने वाले भारत के सभी बड़े शहरों की तुलना में दिल्ली में भूकंप की आशंका ज़्यादा बताते हैं. ग़ौरतलब है कि मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहर सिस्मिक ज़ोन-3 की श्रेणी में आते हैं.
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या घनी आबादी भी है. डेढ़ करोड़ से अधिक आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं. लेकिन उन्हीं के मुताबिक़, "हम इस बात को भी कह सकते हैं कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सीस्मिक गतिविधियाँ सिलसिलेवार रही हैं और वे किसी बड़े भूकंप की भी वजह हो सकती हैं."नेपाल भूकंप: कटोरी और थालियों से खोदकर मलबे में दबे लोगों को बचाने की कोशिशभूकंप और सीस्मिक ज़ोन से जुड़ी एक और अहम बात है कि किसी भी बड़े भूकंप की रेंज 250-350 किलोमीटर तक हो सकती है.
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