Uttar Pradesh (UP) Prayagraj 1924 Kumbh Mela Story Explained; Follow British Police Vs Jawahar Lal Nehru, Malviya Jal Satyagraha, History and Updates On Dainik Bhaskar.
प्रयाग से लौटते वक्त कढ़ी खाते हैं कल्पवासी; महिलाएं श्रृंगार नहीं कर सकतींप्रयाग कुंभ की बात है। अंग्रेज सरकार ने संगम में स्नान पर रोक लगा दी थी। सरकार का कहना था कि संगम के पास फिसलन बढ़ गई है, भीड़ की वजह से हादसा हो सकता है।
अपनी आत्मकथा ‘मेरी कहानी’ में नेहरू लिखते हैं- ‘मेला पहुंचने पर मैंने देखा कि मालवीय जी जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ जल सत्याग्रह कर रहे हैं। जोश में आकर मैं भी सत्याग्रह दल में शामिल हो गया। मैदान के उस पार लकड़ियों का बड़ा सा बैरिकेड बनाया गया था। कहा जाता है कि राम वनवास की शुरुआत में प्रयाग गए थे और लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद उन्होंने प्रयाग में स्नान-दान किया था।
सतयुग 17,28,000 साल, त्रेता युग 12,96,000 साल, द्वापर युग 8,64,000 साल और कलियुग 4,32,000 साल का होता है। ऐसे एक हजार साल बीतेंगे तब एक कल्प होगा। यानी कोई कुंभ में कल्पवास करेगा तो पृथ्वी की गणना के अनुसार उसे 432 करोड़ साल का फल मिलेगा। इतिहासकार हेरंब चतुर्वेदी बताते हैं- ‘कल्पवासी जब प्रयाग आते हैं, तो सबसे पहले वे खिचड़ी खाते हैं। अपने टेंट में जौ और तुलसी का पौधा लगाते हैं। खिचड़ी खाना संसारिकता से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। कल्पवास पूरा करने के बाद कल्पवासी जौ और तुलसी को गंगा जल में प्रवाहित कर देते हैं। घर लौटते वक्त वह कढ़ी खाते हैं। कढ़ी खाने का मतलब है वह फिर से संसारिकता में प्रवेश करता है।’आजादी के बाद 1954 में पहला कुंभ प्रयाग में लगा। राष्ट्रपति डॉ.
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