अच्छी खबर: अब पराली नहीं फैलाएगी प्रदूषण, ऊर्जा का नया स्रोत बन लाएगी खुशहाली

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अच्छी खबर: अब पराली नहीं फैलाएगी प्रदूषण, ऊर्जा का नया स्रोत बन लाएगी खुशहाली
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अब पराली प्रदूषण नहीं फैलाएगी बल्कि ऊर्जा का नया स्रोत बनकर खुशहाली लाएगी। आईआईटी-आईएसएम धनबाद ने ऐसी तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल की है जिससे पराली से ग्रीन ईंधन रसोई गैस यूरिया और कार्बन नैनो ट्यूब बनाया जा सकता है। इससे देश की आर्थिक समृद्धि में मदद मिलेगी। इसके साथ ही पराली के प्रदूषण से भी राहत मिल...

शिशिर संतोष, धनबाद। पराली अब प्रदूषण का कारण नहीं बन पाएगी। यह ऊर्जा प्राप्ति का नया साधन बन सकेगी। इसका सदुपयोग देश की आर्थिक समृद्धि में सहायक हो सकता है। आईआईटी-आईएसएम ने इसके लिए तकनीक का विकास किया है। इसके अनुसार, पराली का ग्रीन ईंधन, रसोई गैस, फर्टिलाइजर उद्योग में यूरिया और कार्बन नैनो ट्यूब बनाने में उपयोग हो सकता है। कार्बन नैनो ट्यूब का इस्तेमाल सूक्ष्म सर्किट में होता है। इससे इथेनाल भी बनाया जा सकता है। कई उद्योगों में इस ईंधन का उपयोग होता है। शोध टीम का नेतृत्व प्रो.

गुड़िया बताते हैं कि पराली यानी पुआल पूर्ण दहनशील है। यह कम राख पैदा करती है। कोयले की छाई की सस्ती धुलाई कर दोनों के मिश्रण से टैबलेट बनाया जाता है। टैबलेट को सुपर कंडीशन में बिना आक्सीजन के उच्च ताप पर जलाया जाता है। गैस एनलाइजर के अनुसार, इससे करीब 70-75 प्रतिशत मीथेन गैस मिलती है। शेष दूसरी गैसें होती हैं। वे भी उपयोगी हैं। भारत में कोयला नदी घाटियों में बना है, इसलिए सल्फरयुक्त प्रदूषण कम होता है। पराली जिसे क्रस कर कोयला में मिलाया जाता है। हाईड्रोजन भी बनती है, जिससे काफी मात्रा में ताप...

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