शरद पवार कहते हैं कि जिन्हें आपने सिखाया, आगे बढ़ाया और वो अलग होता है तो दुख तो होता है लेकिन ये राजनीति है.
अभी तारीख़ों की घोषणा नहीं हुई है लेकिन अलग-अलग पार्टियां और गठबंधन अपने दावों और वादों को लेकर जनता के बीच में हैं.
पूरी बातचीत में शरद पवार ने अजित पवार के अलावा मोदी सरकार और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की तैयारियों के बारे में बताया है.महाराष्ट्र के इन गांवों में दलितों को अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिल रही है जगह: ग्राउंड रिपोर्ट रिजल्ट आ गया तो 400 की बात छोड़िए, वो 300 के आसपास भी नहीं आए. 240 सीट उन्हें मिली थीं. चंद्रबाबू की मदद नहीं होती, नीतीश भाई की मदद नहीं होती तो शायद सरकार बनाने और चलाने दोनों में ही मुश्किल होती.''
वो कहते हैं, ''अभी दो दिन पहले आपने प्रधानमंत्री की स्पीच सुनी. वो जम्मू-कश्मीर में गए थे. जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस पर, कांग्रेस के नेतृत्व पर पर्सनल अटैक किया, इससे एक बात साबित होती है कि चुनाव में जो रिजल्ट मिला, उसकी नाराज़गी उनके मन में है. इसीलिए यह नाराज़गी दिखाने के लिए उनकी स्पीच काफ़ी है और इसी तरह से वो आने वाले इलेक्शन में जाएंगे, ऐसा हमें लग रहा है.''
आप देखिए कि संसद में उनकी उपस्थिति 90 फ़ीसदी से ज्यादा है. इसलिए जहां जिसकी रुचि होती है, उसे वहां काम करने में ख़ुशी मिलती है, वहाँ से उठाकर दूसरी जगह पर भेजना मुझे ठीक नहीं लगता.'' शरद पवार कहते हैं, ''जिन्हें आपने सिखाया हो और जिनकी मदद की हो और आपके साथ कुछ साल रहकर अलग होते हैं तो अच्छा नहीं लगता. वो ऐसे लोगों के पास हैं, जिनके ख़िलाफ़ हम संघर्ष करते थे, उनके साथ गए. ऐसे में ठीक नहीं लगता है. मगर ये राजनीति है तो इन सबका सामना करना पड़ता है, रास्ता निकालना पड़ता है.''शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से पिछले कुछ समय में मुलाक़ात की है. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर चर्चा भी हो रही थी.
ऐसे में जो बातें हो रही हैं, उन पर पवार कहते हैं कि जहाँ उन्हें जाना होता है, वो जाते हैं. वो इस बात का प्रदर्शन नहीं करते हैं.अपने गांव के हनुमान मंदिर का ज़िक्र करते हुए पवार कहते हैं, ''आज तक शायद मैंने 14 चुनाव लड़े हैं और लोगों की मेहरबानी से सब जीते हैं. मैंने हर चुनाव की शुरुआत में, मेरा गांव काटेवाड़ी है. वहां एक हनुमान जी का मंदिर है. मेरे कैंपेन की शुरुआत यहीं से होती है.
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