अटल जी के कूच से डरने वाले नहीं हैं शब्द

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अटल जी के कूच से डरने वाले नहीं हैं शब्द
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लेख में अटल जी के जीवन और उनके 'कूच से डरने' वाले नहीं हैं' वाले शब्दों पर प्रकाश डाला गया है। उनके साहस और गहन विचारों को समझाया गया है।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं...लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं? अटल जी के ये शब्द कितने साहस ी हैं...कितने गूढ़ हैं। अटल जी , कूच से नहीं डरे। वह कहते थे... जीवन बंजारों का डेरा, आज यहां, कल कहां कूच है...कौन जानता किधर सवेरा...

आज अगर अटल जी हमारे बीच होते, तो अपने जन्मदिन पर नया सवेरा देख रहे होते। मैं वह दिन नहीं भूलता, जब उन्होंने मुझे पास बुलाकर अंकवार में भर लिया था और जोर से पीठ में धौल जमा दी थी। वह स्नेह, अपनत्व और प्रेम, मेरे जीवन का बहुत बड़ा सौभाग्य रहा है। आज 25 दिसंबर का यह दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। आज पूरा देश अपने भारत रत्न अटल को, उस आदर्श विभूति के रूप में याद कर रहा है, जिन्होंने अपनी सौम्यता, सहजता और सहृदयता से करोड़ों भारतीयों के मन में जगह बनाई।...

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अटल जी साहस कूच जीवन विचार

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