भविष्य में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र कैसे विकसित हो सकते हैं, इसकी जांच करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग के तौर-तरीकों में बदलाव के संयुक्त प्रभाव से सभी वैश्विक क्षेत्रों में जैव विविधता का नुकसान होता है।
जलवायु परिवर्तन इस सदी के मध्य तक जैव विविधता में गिरावट का मुख्य कारण बन सकता है। बढ़ते तापमान और जल, वायु व मृदा प्रदूषण के अलावा भूमि उपयोग में बदलाव की वजह से जीवों और पेड़-पौधों की कई प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में दुनियाभर में जैव विविधता में दो से 11 फीसद की कमी आ सकती है। जर्मन सेंटर फार इंटेग्रेटिव बायोडायवर्सिटी रिसर्च के नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में भूमि उपयोग के तौर-तरीकों में बदलाव और जैव विविधता पर उनके प्रभावों को भी शामिल...
लेक्लेर के मुताबिक, शोध में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक आसन्न खतरा पैदा करता है। भूमि-उपयोग में परिवर्तन भी ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। अध्ययन के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन सदी के मध्य तक जैव विविधता के नुकसान के प्राथमिक कारक के रूप में इससे आगे निकल सकता है। शोधकर्ताओं ने आने वाले दशकों में सरकारी नीतियों के बीच टकराव को कम करने और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्थिरता पहलुओं पर विचार करते हुए एकीकृत...
Decline In Biodiversity Climate Change Environment Bio-Energy Deployment
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