अपेंडिक्स कैंसर का देर से पता लगना चिंता का विषय : विशेषज्ञ
नई दिल्ली, 14 अगस्त । विशेषज्ञों का कहना है कि अपेंडिक्स कैंसर का समय से पता लगाना मुश्किल होता है। इसके बाद के चरणों में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते, जिससे उपचार के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर सहित अधिकांश बीमारियों में बेहतर जीवन के लिए बीमारी का शुरू में ही पता लगाना महत्वपूर्ण है। लेकिन वहीं अपेंडिक्स कैंसर की दुर्लभता और लक्षणों की कमी के कारण इसका पता लगाना अधिक कठिन हो जाता है। इसके अधिकांश मामलों की पहचान उन्नत चरणों में की जाती है और अधिकांश कैंसर का शुरुआती चरणों में गलत इलाज किया जाता है।
दुर्भाग्य से अधिकांश अपेंडिकुलर कैंसर का पता अपेंडिक्स को सर्जरी के बाद हटाने के बाद चलता है, जबकि न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और कम-ग्रेड म्यूसिनस ट्यूमर कम आक्रामक होते हैं और बेहतर उपचार परिणाम देते हैं। अपेंडिकुलर एडेनोकार्सिनोमा कोलोरेक्टल कैंसर के समान व्यवहार करते हैं और विशेष रूप से बाद के चरणों में उनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है।
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