अफगान सिख और हिंदू परिवारों के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक बना उम्मीद

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इन समुदायों के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 बना उम्मीद ashu3page

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को कैबिनेट की मंजूरी के बाद भले ही विपक्षी दलों की आलोचना झेलनी पड़ रही है, पर राष्ट्रीय राजधानी में बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो इस विधेयक की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं.

1980 से लेकर 1993 के बीच बहुत से सिख और हिंदू परिवार शरणार्थी के रूप में अफगानिस्तान से भारत आए थे. वहां उन्हें धार्मिक असुरक्षा के अलावा तालिबान, स्थानीय मुजाहिद्दीन से खतरा था. ये परिवार अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों से आए थे. रामनाथ कपूर ने इंडिया टुडे को बताया कि अब वे भारत में बिना वैध वीजा के ही रह रहे हैं. उनकी पत्नी राममूर्ति भी उस खुशहाल वक्त को याद करती हैं कि कैसे वे अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान में रह रही थीं, लेकिन उसी बीच तालिबान ने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.

इसी तरह अफगान हिंदू सुरेश खन्ना भी 1991 में अफगानिस्तान से भारत आए थे. सुरेश ने हमें बताया,"काबुल में मेरा ड्राई फ्रूट्स का कारोबार था, लेकिन हिंदुओं और सिखों के खिलाफ मुजाहिदीन और तालिबान का हमला इतना क्रूर था कि हमारे पास अफगानिस्तान छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था." दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके इन सिखों और हिंदुओं के लिए आवाज उठाते रहे हैं और इनके मसले को विभिन्न सरकारों के समक्ष उठाते रहे हैं.

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