लाखों अफगान पड़ोसी देश ईरान में बतौर शरणार्थी रह कर किसी तरह से गुजारा करते हैं लेकिन कोरोना के कारण वे वहां से लौट रहे हैं. पहले से ही खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से बेहाल देश के लिए नई चुनौती पैदा हो गई है. coronavirus COVID19
ईरान में कोरोना वायरस के फैलने के बाद अफगान शरणार्थी महदी नूरी का काम बंद हो गया. नूरी पत्थर काटने के कारखाने में बतौरी मजदूर काम करता था. नूरी के पास पैसे भी नहीं थे और उसे वायरस के संक्रमण का खतरा सता रहा था. इसलिए उसने अफगानिस्तान लौटने का फैसला किया. नूरी, करीब दो लाख अफगान शरणार्थियों के जत्थे के साथ सीमा पार करने के लिए निकल पड़ा. ईरान दुनिया में महामारी के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है तो दूसरी ओर अफगानिस्तान इस महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं दिखता है.
अफगानिस्तान में अब तक कोरोना वायरस के 273 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और देश में इस महामारी के कारण चार लोगों की मौत हो चुकी है. अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री फिरुजुद्दीन फिरोज कहते हैं कि देश वापस लौटने वालों की वजह से वायरस फैल चुका है. वह कहते हैं,"अगर मामले बढ़ते हैं तो यह नियंत्रण से बाहर हो जाएगा और हमें मदद की जरूरत होगी." उन्हें और अन्य अफगान अधिकारियों को चिंता है कि ईरान दस लाख और लोगों को देश से निकाल देगा, जो गैरकानूनी रूप से वहां काम कर रहे हैं.
नूरी का अनुभव ईरान से लौटने वाले अन्य लोगों की ही तरह है. नूरी 15 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़कर काम करने ईरान चला गया था. ईरान में रहते हुए नूरी ने कई तरह की नौकरी और मजदूरी की और हाल फिलहाल में उसने पत्थर काटने के कारखाने में काम करना शुरू किया. कारखाना बंद होने के बाद उसकी नौकरी चली गई और उसे वायरस का डर सताने लगा. उसे लगा कि अगर ऐसा होता है तो वहां उसका इलाज होना मुश्किल होगा क्योंकि उपचार के मामले में भी अफगान नागरिकों को कम प्राथमिकता दी जाती है.
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