डॉ. ओम शंकर चौरसिया ने सप्लीमेंट्री सकलिंग तकनीक को खोजा है. इस तकनीक के तहत एक फीडिंग ट्यूब को मां के स्तन के निपल पर चिपकाया जाता है और ट्यूब के दूसरे हिस्से को दूध की एक कटोरी में डाला जाता है. इसके बाद बच्चे को दूध पिलाया जाता है.
शाश्वत सिंह/ झांसी: नवजात बच्चे के लिए मां का दूध ही अमृत जैसा होता है. लेकिन बहुत बार चाहकर भी महिलाएं अपने बेबी को स्तनपान नहीं करवा पाती हैं. इसी परेशानी का इलाज ढूंढ निकाला है झांसी के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ ओम शंकर चौरसिया ने. डॉक्टर ने झांसी में सप्लीमेंट्री सकलिंग तकनीक की शुरुआत की है. इस तकनीक की मदद से आर्टिफिशियल तरीके से नवजात बच्चे को मां का दूध दिया जा सकता है. यह है खास तकनीक इस पूरे प्रोसेस के दौरान नन्हे बच्चे को ऐसा लगता है कि वो अपनी मां का दूध पी रहा है.
इस प्रक्रिया की वजह से मां के स्तन में स्टीमुलेशन की प्रोसेस शुरू हो जाती है. 60 प्रतिशत महिलाओं को हुआ फायदा डॉक्टर ने बताया कि अभी तक 60 प्रतिशत महिलाओं को इस प्रोसेस का फायदा मिल चुका है. वो कहते हैं कि नवजात बच्चों के लिए मां का दूध कई मायनों में जरूरी होता है. यह एक प्रकार से पहले वैक्सीन की तरह होता है. किसी भी स्थिति में बच्चे को मां का दूध पीने से नहीं रोका जाता है. शारीरिक ताकत के साथ इससे बच्चों का मानसिक डेवलपमेंट भी होता है.
Paediatrics Expert Supplementary Suckling Technique Dr. Om Shankar Chaurasia
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