वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट को लेकर भूविज्ञानियों की टीम शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस रिपोर्ट के बाद एक बार फिर से वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन का ट्रीटमेंट किया जायेगा। फिलहाल वरुणावत की तलहटी पर बसे लोग अब दुबारा भूस्खलन न होने की प्रार्थना भगवान से कर रहे...
रश्मि खत्री, देहरादून/ उत्तरकाशी: उत्तराखंड का वरुणावत पर्वत 21 सालों के बाद फिर से कराह रहा है। इस पर्वत पर भूस्खलन जोन सक्रिय होने से एक बार फिर लोगों के चेहरों पर दहशत साफ दिखाई देने लगी है। हालांकि वैज्ञानिकों के तत्कालिक और दीर्घकालिक ट्रीटमेंट के बाद हालात काबू में होने की बात कहने के बाद स्थानीय लोगों को कुछ राहत भी मिली है।21 वर्षों के बाद अचानक से वरुणावत पर्वत में भूस्खलन होने से कई जिंदगियां भी खतरे की जद में आ गई हैं। इस पर्वत पर भूस्खलन कोई नई बात नहीं लेकिन ट्रीटमेंट के बाद बढ़ते...
ट्रीटमेंट कार्य की अगुवाई करने वाले जीएसआई के तत्कालीन निदेशक डॉक्टर पीसी नवानी का कहना है कि जहां हाल ही में भूस्खलन हुआ है वह संवेदनशील क्षेत्र है। अब यह भूस्खलन क्षेत्र एक बार फिर सक्रिय हो गया है और अब इसके ट्रीटमेंट में देरी नहीं की जानी चाहिए।'मानवीय हस्तक्षेप बड़ा कारण'उन्होंने कहा कि इस पर्वत पर मानवीय हस्तक्षेप ही भूस्खलन का बड़ा कारण है और इस भूस्खलन की ट्रीटमेंट में देरी खतरे को बढ़ा सकती है। लोगों ने पहाड़ की तलहटी में घरों का निर्माण तो किया ही साथ ही अब ऊपर की तरफ बढ़ते...
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