अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व डेमोक्रेट नेता तुलसी गबार्ड को अहम पद के लिए चुना है, जिन्होंने अमेरिका में हिंदुओं के मुद्दों को मुखरता से उठाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब योग को वैश्विक पटल पर लाने के लिए कोशिश कर रहे थे तब तुलसी गबार्ड ने इस मुहिम का जमकर समर्थन किया था.
अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक पूर्व डेमोक्रेट नेता को अहम पद के लिए चुना है, जिन्होंने अमेरिका में हिंदुओं के मुद्दों को मुखरता से उठाया है.
1983 में जब गबार्ड दो साल की थीं तो उनका परिवार अमेरिका के हवाई राज्य में आकर बस गया था. हवाई में आने के बाद उनकी मां कैरल ने हिन्दू धर्म अपना लिया जबकि उनके पिता रोमन कैथोलिक ईसाई थे. हिन्दू धर्म के प्रभाव के कारण ही कैरल ने अपने बच्चों के हिन्दू नाम रखे.दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर तुलसी के पिता पहले रिपब्लिकन पार्टी और फिर साल 2007 से डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े हैं.
तब तुलसी गबार्ड ने वैदिक रीति-रिवाज़ से अपने गृह राज्य हवाई में सिनेमैटोग्राफ़र अब्राहम विलियम्स से शादी की थी.के मुताबिक़, इस शादी में अमेरिका में भारत के तत्कालीन कार्यवाहक राजदूत तरनजीत संधू और राम माधव भी थे. तुलसी लिखती हैं, "मुझ पर भी 'हिन्दू राष्ट्रवादी' होने का आरोप लगाया गया है. भारत के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता के साथ मेरी मुलाक़ातों को इस आरोप के लिए 'सबूतों' की तरह बताया गया, भले ही राष्ट्रपति बराक ओबामा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, हिलेरी क्लिंटन और संसद में मेरे कई सहयोगियों ने उनसे मुलाक़ात की हो या उनके साथ काम किया."
2020 में कोरोना काल के दौरान जब दुनिया मुश्किल समय से गुज़र रही थी और तब तुलसी डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ़ से राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल थीं. प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने 1971 में बांग्लादेश में हिंदुओं के ख़िलाफ़ अत्याचार शुरू होने की बात कही थी और इसके लिए पाकिस्तान की सेना को ज़िम्मेदार ठहराया था.
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