भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने भारत का पहला कैंसर जीनोम डेटाबेस, 'भारत कैंसर जीनोम एटलस' लॉन्च किया है। यह डेटाबेस कैंसर के कारणों को समझने, इसके शुरुआती निदान और रोकथाम में मदद कर सकता है।
भारत ीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने भारत का पहला कैंसर जीनोम डाटाबेस पेश किया है। इसे ‘ भारत कैंसर जीनोम एटलस’ के नाम से लॉन्च किया गया है। यह पहल कैंसर अनुसंधान में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सहायक साबित हो सकती है। इसकी सहायता से कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर बेहतर इलाज संभव हो सकेगा। आईआईटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके जीनोम पर अब तक अपेक्षित स्तर पर शोध नहीं हुआ है। इसके कारण भारत में पाए जाने वाले कैंसर के लक्षण दवाओं
और जांच प्रक्रियाओं में शामिल नहीं हो पाते। यही कारण है कि इनकी पहचान के लिए न तो विशेष डायग्नोस्टिक किट विकसित हो पा रही हैं और न ही प्रभावी दवाओं का निर्माण संभव हो रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए आईआईटी मद्रास ने 2020 में कैंसर जीनोम कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस परियोजना के तहत देशभर में ब्रेस्ट कैंसर के 480 मरीजों के टिशू सैंपल का अध्ययन किया गया और 960 जीनों की एक्सोम इंडेक्सिंग पूरी की गई। डेटाबेस दुनियाभर के चिकित्सकों के लिए bcga.iitm.ac.in पर उपलब्ध है। कैंसर के कारणों को समझने में मिलेगी मदद आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटि का कहना है कि यह एटलस कैंसर के कारणों को गहराई से समझने और इसके प्रारंभिक निदान एवं रोकथाम में मदद करेगा। यह डाटाबेस भारत में विभिन्न प्रकार के कैंसर से जुड़ी जीनोम जानकारी के अभाव को दूर करने में अहम भूमिका निभाएगा। इस परियोजना से जुड़े प्रो. एस. महालिंगम के अनुसार इससे डॉक्टरों को कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने, बीमारी की प्रगति समझने, हाई-रिस्क ग्रुप की पहचान करने, बेहतर इलाज की रणनीति तैयार करने और उपचार की प्रभावशीलता का आकलन करने में सहायता मिलेगी। भारत में हर नौवें व्यक्ति को कैंसर का खतरा कैंसर दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार भारत भी इससे अछूता नहीं है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर नौवें व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की आशंका रहती है। फिलहाल देश में करीब 14,61,427 लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं और 2022 से कैंसर के मामलों में 12.8 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत कैंसर जीनोम एटलस कैंसर से जुड़े विशिष्ट बायोमार्कर की पहचान में मदद करेगा, जिससे ब्रेस्ट कैंसर समेत अन्य प्रकार के कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकेगा
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