आजादी का अमृत महोत्सव : पथरीली डगर पर हिमाचल प्रदेश के विकास का सफर AzadiKaAmritMahotsav HimachalPradesh
करोड़ सालाना का सेब कारोबार ही सरकार की आमदनी के मुख्य स्रोत हैं। हालात यह हैं कि अपना काम चलाने के लिए हर साल सरकार को हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ता है। मौजूदा समय में 100 रुपये सरकार की आमदनी मानी जाए तो उसमें से करीब 16.64 रुपये ऋण-ब्याज की अदायगी, 25.31 रुपये वेतन, 14.11 रुपये पेंशन पर खर्च हो जाते हैं। यानी कुल 56.
सकल घरेलू उत्पाद में से कृषि, बागवानी आदि से 14.58 फीसदी, उद्योग, निर्माण, विद्युत, गैस व जलापूर्ति आदि से 41.94 फीसदी और पर्यटन, परिवहन, आवासीय आदि से 43.48 फीसदी आता है। प्रदेश की आर्थिकी में पर्यटन उद्योग का विशेष योगदान है। हिमाचल प्रदेश में सकल घरेलू उत्पाद का 7 फीसदी पर्यटन से ही आता है। यह प्रदेश के रोजगार व स्वरोजगार की रीढ़ बना हुआ है।
पिछले 50 वर्षों में सत्तासीन सरकारों ने प्रदेश में खेती व बागवानी को बढ़ावा दिया है। आज प्रदेश में कुल फसल 36,12,000 मीट्रिक टन और फल उत्पादन 8,45,422 मीट्रिक टन से अधिक हो रहा है। वर्तमान में 5000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का योगदान देकर सेब हिमाचल की मुख्य नकदी फसल बन गया है। पिछले दो साल के बजट पर नजर दौड़ाई जाए तो वर्ष 2021-22 का कुल बजट 50192 करोड़ रखा गया। इसमें राजकोषीय घाटा 7789 करोड़ रुपये व राजस्व घाटा 1463 रुपये का अनुमान है। हालांकि, यह राजस्व घाटा कोरोनाकाल से लॉकडाउन या बाजार प्रभावित रहने के कारण माना जा रहा है।अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैंरामपुर शहर के पास वर्ष 1944 में सतलुज नदी पर भाखड़ा बांध के सर्वेक्षण एवं अन्वेषण का कार्य शुरू हो गया था। वर्तमान में यहां 2,918 मेगावाट बिजली बन रही है।विधानसभा में पूरा कामकाज व...
महासू के अतिरिक्त सिरमौर, मंडी और चंबा तीन जिले बने थे। जुलाई 1954 में पांचवां जिला बिलासपुर नाम से हिमाचल प्रदेश में शामिल हुआ। इसके बाद हिमाचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के प्रयास से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिमला के रिज मैदान से 25 जनवरी 1971 को हिमाचल का पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की।
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