आज का शब्द: विस्मय और रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता- रच फूलों के गीत मनोहर

Aaj Ka Shabd समाचार

आज का शब्द: विस्मय और रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता- रच फूलों के गीत मनोहर
HindihainhumHindi Hain HumUjaas
  • 📰 Amar Ujala
  • ⏱ Reading Time:
  • 26 sec. here
  • 18 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 70%
  • Publisher: 51%

आज का शब्द: विस्मय और रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता- रच फूलों के गीत मनोहर

' हिंदी हैं हम ' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- विस्मय , जिसका अर्थ है- अत्यधिक आश्चर्य। प्रस्तुत है रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता- रच फूलों के गीत मनोहर रच फूलों के गीत मनोहर .

चित्रित कर लहरों के कम्पन, कविते ! तेरी विभव-पुरी में स्वर्गिक स्वप्न बना कवि-जीवन। छाया सत्य चित्र बन उतरी, मिला शून्य को रूप सनातन, कवि-मानस का स्वप्न भूमि पर बन आया सुरतरु-मधु-कानन। भावुक मन था, रोक न पाया, सज आये पलकों में सावन, नालन्दा-वैशाली के ढूहों पर, बरसे पुतली के घन। दिल्ली को गौरव-समाधि पर आँखों ने आँसू बरसाये, सिकता में सोये अतीत के ज्योति-वीर स्मृति में उग आये। बार-बार रोती तावी की लहरों से निज कंठ मिलाकर, देवि ! तुझे, सच, रुला चुका हूँ सूने में आँसू बरसा कर। मिथिला में पाया न...

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

Amar Ujala /  🏆 12. in İN

Hindihainhum Hindi Hain Hum Ujaas Hindi Bhasha Hindi Apno Ki Bhasha Sapno Ki Bhasha Vismay Ramdhari Singh Dinkar Poems In Hindi Rach Phoolon Ke Geet Manohar हिंदीहैंहम आज का शब्द हिंदी हैं हम हिंदी भाषा हिंदी अपनों की भाषा सपनों की भाषा विस्मय रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं रच फूलों के गीत मनोहर

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

आज का शब्द: मरघट और गोपाल सिंह नेपाली की कविता- नज़रों के तीर बहुत देखेआज का शब्द: मरघट और गोपाल सिंह नेपाली की कविता- नज़रों के तीर बहुत देखेआज का शब्द: मरघट और गोपाल सिंह नेपाली की कविता- नज़रों के तीर बहुत देखे
और पढो »

आज का शब्द: अवरोह और प्रताप नारायण सिंह की कविता- तुम भी चलो, हम भी चलेंआज का शब्द: अवरोह और प्रताप नारायण सिंह की कविता- तुम भी चलो, हम भी चलेंआज का शब्द: अवरोह और प्रताप नारायण सिंह की कविता- तुम भी चलो, हम भी चलें
और पढो »

आज का शब्द: अवयव और अशोक चक्रधर की हास्य कविता- जंगल गाथाआज का शब्द: अवयव और अशोक चक्रधर की हास्य कविता- जंगल गाथाआज का शब्द: अवयव और अशोक चक्रधर की हास्य कविता- जंगल गाथा
और पढो »

आज का शब्द: अवतार और श्रीकांत वर्मा की कविता- छूटा जा रहा मेरा प्रेमआज का शब्द: अवतार और श्रीकांत वर्मा की कविता- छूटा जा रहा मेरा प्रेमआज का शब्द: अवतार और श्रीकांत वर्मा की कविता- छूटा जा रहा मेरा प्रेम
और पढो »

आज का शब्द: पंजर और सुमित्रानंदन पंत की कविता- उसका लंबा डील डौल हैआज का शब्द: पंजर और सुमित्रानंदन पंत की कविता- उसका लंबा डील डौल हैआज का शब्द: पंजर और सुमित्रानंदन पंत की कविता- उसका लंबा डील डौल है
और पढो »

आज का शब्द: तमिस्रा और शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता 'मैं बढ़ा ही जा रहा हूं'आज का शब्द: तमिस्रा और शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता 'मैं बढ़ा ही जा रहा हूं'aaj ka shabd tamisra shivmangal singh suman hindi kavita main badha hi ja raha hoon आज का शब्द: तमिस्रा और शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता 'मैं बढ़ा ही जा रहा हूं'
और पढो »



Render Time: 2025-02-19 03:08:37