aaj ka shabd vibhuti mahadevi verma poem is path se aana.आज का शब्द- विभूति और महादेवी वर्मा की कविता: इस पथ से आना !. Read more about aaj ka shabd, hindihainhum, vibhuti on amar ujala kavya.
' विभूति ' को कई अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है, जैसे- वैभव, ऐश्वर्य या धन, संपत्ति, या दिव्य अलौकिक शक्ति से संपन्न गुणवान पुरुष। अमर उजाला हिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- विभूति । प्रस्तुत है महादेवी वर्मा की कविता: इस पथ से आना ! तुम दुख बन इस पथ से आना ! शूलों में नित मृदु पाटल-सा; खिलने देना मेरा जीवन; क्या हार बनेगा वह जिसने सीखा न हृदय को बिंधवाना! वह सौरभ हूँ मैं जो उड़कर कलिका में लौट नहीं पाता, पर कलिका के नाते ही प्रिय जिसको जग ने सौरभ जाना! नित जलता रहने...
अपने पद-चिह्न बना जाना ! वर देते हो तो कर दो ना, चिर आँखमिचौनी यह अपनी; जीवन में खोज तुम्हारी है मिटना ही तुमको छू पाना! प्रिय! तेरे उर में जग जावे, प्रतिध्वनि जब मेरे पी पी की; उसको जग समझे बादल में विद्युत का बन बन मिट जाना ! तुम चुपके से आ बस जाओ, सुख-दुख सपनों में श्वासों में; पर मन कह देगा ‘यह वे हैं’ आँखें कह देंगी ‘पहचाना’! जड़ जग के अणुओं में स्मित से, तुमने प्रिय जब डाला जीवन, मेरी आँखों ने सींच उन्हें सिखलाया हँसना खिल जाना ! कुहरा जैसे घन आतप में, यह संसृति मुझमें लय होगी; अपने रागों...
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