aaj ka shabd funagi harivanshrai bachchan poetry us paar na jane kya hoga.आज का शब्द: फुनगी और हरिवंशराय बच्चन की कविता- उस पार न जाने क्या होगा !. Read more about hindihainhum, hindi hain hum, ujaas on amar ujala kavya.
' हिंदी हैं हम ' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- फुनगी , जिसका अर्थ है- पानी की लहर, हिलोर, चित्त की उमंग, मन की मौज, स्वरलहरी। प्रस्तुत है हरिवंशराय बच्चन की कविता- उस पार न जाने क्या होगा ! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा ! यह चाँद उदित होकर नभ में कुछ ताप मिटाता जीवन का, लहरालहरा यह शाखाएँ कुछ शोक भुला देती मन का, कल मुर्झानेवाली कलियाँ हँसकर कहती हैं मगन रहो, बुलबुल तरु की फुनगी पर से संदेश सुनाती यौवन का, तुम देकर मदिरा के प्याले मेरा मन बहला देती हो, उस पार...
तमहर किरणें तम के अन्दर छिप जाएँगी, जब निज प्रियतम का शव रजनी तम की चादर से ढंक देगी, तब रवि शशिपोषित यह पृथ्वी कितने दिन खैर मनाएगी! जब इस लंबे चौड़े जग का अस्तित्व न रहने पाएगा, तब तेरा मेरा नन्हा सा संसार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! ऐसा चिर पतझड़ आएगा, कोयल न कुहुक फिर पाएगी, बुलबुल न अंधेरे में गागा जीवन की ज्योति जगाएगी, अगणित मृदुनव पल्लव के स्वर 'भरभर' न सुने जाएँगे, अलि अवली कलिदल पर गुंजन करने के हेतु न आएगी, जब इतनी रसमय...
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