Sarva pitru Amavasya: पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है. सर्वपितृ अमावस्या का दिन श्राद्ध करने का आखिरी दिन होता है.
Sarva pitru Amavasya 2024: पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष का समापन हो जाता है. मान्यतानुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का पूजन किया जाता है या श्राद्ध किया जाता है जिनका श्राद्ध उनकी मृत्यु की तिथि पर किसी कारणवश नहीं किया जा सका या फिर जिनकी मृत्यु की तिथि याद ना हो. आज सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का आखिरी सूर्यग्रहण भी लग रहा है.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक कुतुप मुहूर्त रहने वाला है. इसके बाद रोहिणी मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहने वाला है. श्राद्ध का शुभ मुहूर्त सर्वपितृ अमावस्या पर सुबह 11 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक है. इस समयावधि में श्राद्ध कार्य संपन्न किया जा सकता है. इस समयावधि में श्राद्ध, पिंडदान और दान किया जा सकता है.
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