आधे म्यांमार पर कब्ज़ा कर चुके हथियारबंद गठबंधन में कौन शामिल, चीन का क्या रोल?

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म्यांमार के सशस्त्र गुटों ने एक हथियारबंद गठबंधन बनाया है जो वहां की सेना को नाकों चने चबवा रहा है. इस गठबंधन की सामूहिक ताक़त के सामने कब तक टिकी रहेगी म्यांमार की सेना?

ब्रदरहुड अलायंस में शामिल 'तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी' के सदस्य पश्चिमी म्यांमार के शान प्रांत में एक ट्रेनिंग कैंप में.हाल के दिनों में हथियारबंद समूहों के एक गठबंधन ने म्यांमार में सेना के ख़िलाफ़ एक बड़ा सैन्य अभियान चलाकर देश के पूर्व में एक बड़े इलाक़े पर कब्ज़ा कर लिया है.

म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी में ज़्यादातर कोकांग समुदाय के लोग शामिल हैं, जो देश के उत्तरी शान प्रांत से आते हैं. यह इलाक़ा चीन की सीमा के क़रीब है. कोकांग लोग मैंडारिन भाषा बोलते हैं. उनकी पहचान हान चाइनीज़ के तौर पर होती है.भारत का ये पड़ोसी देश क्या बिखरने की कगार पर पहुंच गया है? - दुनिया जहानएमएनडीएए का गठन 1989 में हुआ था, जब यह म्यांमार सरकार के ख़िलाफ़ गुरिल्ला युद्ध करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ बर्मा से अलग हुआ, जिसे चीन का समर्थन प्राप्त था.

यह सरकारी सुरक्षा बलों के साथ 2009 से ही हथियारबंद संघर्ष चला रहा है. इनका भी मक़सद तांग इलाक़े में ज़्यादा स्वायत्तता प्राप्त करना है.इसका गठन 2009 में हुआ था. इसका भी उद्देश्य इलाक़े के लिए अधिक स्वायत्ता हासिल करना है. अगस्त के अंत में एमएनडीएए ने उत्तरी शान प्रांत में बढ़ना शुरू किया. इस दौरान इस सशस्त्र समूह ने लाशियो में सेना के उत्तर-पूर्वी मुख्यालय पर कब्ज़ा कर लिया.उसी समय, तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी भी शान प्रांत से आगे सेंट्रल म्यांमार की ओर बढ़ी. यह म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर के लिए ख़तरे के समान था, जिसकी जनसंख्या 15 लाख है.

‘‘ब्रदरहुड अलायंस ने सैन्य प्रशासन को उखाड़ फेंकने के लिए एक नया रास्ता खोल दिया है. वो खान प्रांत से मांडले की ओर बढ़ रहे हैं. हो सकता है कि वो यहां से राजधानी ना प्यी ताव की ओर बढ़ जाएं.’’ सितंबर की शुरुआत में, एमएडीएए ने एक बयान जारी किया था. यह चीन के दबाव में जारी किया गया प्रतीत होता है.इसमें यह भी कहा गया कि 'वो सीज़फायर के लिए तैयार हो जाएंगे और सैन्य प्रशासन के साथ शांतिवार्ता के लिए चीन की मध्यस्थता को भी स्वीकार करेंगे.'

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