आनंद महिंद्रा ने कहा कि काम के आउटपुट पर निर्भर करता है कि आपको कितने घंटे काम करना है। उन्होंने चार-दिवसीय कार्य-सप्ताह की व्यवस्था को अपनाए जाने वाले कई देशों का उदाहरण दिया। उन्होंने अच्छे निर्णय लेने के लिए कला और संस्कृति का अध्ययन करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कार्य जीवन संतुलन के महत्व पर भी ध्यान दिया।
आनंद महिंद्रा ने जोर देते हुए कहा कि मेरा कहना है कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा, न कि काम की मात्रा पर। यह काम के आउटपुट पर निर्भर करता है कि आपको कितने घंटे काम करना है। चाहे 10 घंटे भी हों तो आप क्या आउटपुट दे रहे हैं? आप 10 घंटों में दुनिया बदल सकते हैं। इस दौरान उन्होंने विदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि कई देशों में चार-दिवसीय कार्य-सप्ताह की व्यवस्था को अपनाया जा रहा है। आनंद महिंद्रा ने आगे कहा कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि किसी भी कंपनी में ऐसे लीडर और लोग होने चाहिए जो...
पहली नौकरी में पहले प्रोजेक्ट पर लगातार चार महीनों तक हर हफ्ते 100 घंटे काम किया। एक दिन की छुट्टी के साथ हर दिन 18 घंटे काम किया। तब मैं 90% समय दुखी रहती थी। मैं ऑफिस के बाथरूम में जाकर रोती थी। एक बार रात में 2 बजे रूम सर्विस से चॉकलेट केक खाया और 2 बार हॉस्पिटल में भी भर्ती हुई। भले ही मैं 100 घंटे काम पर थी, लेकिन मैं प्रोडक्टिव नहीं थी। यही कहानी मेरे साथ ग्रेजुएट होने वाले कई क्लासमेट्स की भी है, जो बैंकिंग और कंसल्टेंसी सहित अन्य काम कर रहे थे। हर किसी का काम करने का अपना तरीका ओयो सीईओ...
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