जनवरी में उत्तर भारत में ठंड का कहर लगातार बढ़ रहा है. इस वजह से आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा बना हुआ है.
उत्तर भारत में जनवरी में ठंड का कहर लगातार बढ़ रहा है. इस वजह से फसलों पर पाला लगने का खतरा बना हुआ है. गिरते तापमान के कारण सब्जियों की कई फसलें खराब हो रही हैं या फिर उनमें तरह-तरह के रोग लग रहे हैं. जनवरी के महीने में मौसम में बदलाव और कोहरा तापमान में उतार-चढ़ाव व अधिक आर्द्रता की स्थिति बन रही है, जिसके कारण आलू फसल में झुलसा रोग लगने का खतरा बना हुआ है. अगर यह रोग खेत में लगे आलू की फसल में लग जाए तो देखते ही देखते पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी.
आलू में लगने वाले इस रोग का समय पर प्रबंधन कर किसान नुकसान से बच सकते हैं. आजमगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अखिलेश बताते हैं कि सर्दी के मौसम में तापमान कम होने के कारण आलू की फसलों पर झुलसा रोग का खतरा बना रहता है. पछेती झुलसा रोग दिसंबर के अंत से जनवरी के शुरूआत में लग सकता है. पछेती झुलसा आलू की फसल के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है. इस बीमारी के कारण आलू की पत्तियां झुलस जाती है. और बाद में पूरा पौधा झुलस जाता है. पौधों के ऊपर काले-काले चकत्ते दिखाई देते हैं जो बाद में बढ़ जाते हैं. जिससे आलू का साइज़ भी प्रभावित होता है. कोहरा और नमी के कारण झुलसा रोग उग्र रूप धारण कर लेता है. और 4 से 6 दिन में ही फसल बिल्कुल नष्ट हो जाती है. पछेती झुलसा रोग से बचाव के उपाय पछेती झुलसा रोग से बचाव के लिए किसान MANCOZEB 75% WG नामक दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह दवा पछेती झुलसा रोग के लिए रामबाण इलाज है. किसान इसे प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम की मात्रा में मिलाकर आलू की फसलों पर छिड़काव कर सकते हैं. एक ही फफूंदीनाशक का छिड़काव बार -बार न करें. फफूंदीनाशक का छिड़काव करते समय किसान फसल में नीचे से ऊपर तरफ करके भी छिड़काव करें जिससे पौधे पर फफूंदनाशक अच्छी तरह पड़ जाए आलू का पछेती झुलसा रोग के लक्षण पछेती झुलसा रोग आलू की फसल में लगने वाला एक बहुत बड़ा रोग है. आलू की फसल में झुलसा रोग होने की वजह से निचली व पुरानी पत्तियों पर छोटे अंडाकार भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं. वहीं धीरे-धीरे इसका प्रभाव पत्तियों और कंद दोनों पर दिखाई देने लगता है. इस रोग का खतरा पत्तियों, तनों एवं कंदों पर होता ह
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