इंदरजीत कौर: पुरुषों के वर्चस्व के बीच अपनी अलग पहचान बनाने वाली महिला

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इंदरजीत कौर: पुरुषों के वर्चस्व के बीच अपनी अलग पहचान बनाने वाली महिला
इंदरजीत कौरमहिलाकर्मचारी चयन आयोग
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इंदरजीत कौर: पंजाब यूनिवर्सिटी की पहली महिला वाइस चांसलर और कर्मचारी चयन आयोग की पहली महिला अध्यक्ष. उन्होंने विभाजन के दौरान शरणार्थियों की मदद की और महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी.

पंजाब के पटियाला में जन्मीं इंदरजीत कौर कर्मचारी चयन आयोग की पहली महिला अध्यक्ष रहीं. यही नहीं वह पंजाब यूनिवर्सिटी की पहली महिला वाइस चांसलर भी रहीं. सितंबर 1923 में पैदा हुईं इंदरजीत कौर ने उस दौर में अपनी अलग पहचान बनाई जब हर क्षेत्र में पुरुषों का दबदबा था. उन्होंने न सिर्फ अपनी जगह बनाई बल्कि अन्य लड़कियों और महिला ओं को भी वहां पहुंचने की प्रेरणा दी. इंदरजीत कौर को बचपन से ही बेरोकटोक पढ़ाई करने का मौका मिला. उनके पिता कर्नल शेर सिंह ने उनका पूरा साथ दिया.

पिता की प्रगतिशील सोच के चलते ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिली. दसवीं तक की पढ़ाई के बाद वह पिता के तबादले की वजह से लाहौर चली गईं. यहीं उनकी आगे की पढ़ाई हुई. उन्होंने लाहौर के सरकारी कॉलेज से दर्शनशास्त्र में एमए किया और विक्टोरिया गर्ल्स इंटरमीडिएट कॉलेज में अस्थायी रूप से पढ़ाना शुरू किया. साल 1946 में उन्हें पटियाला के गवर्नमेंट कॉलेज फॉर विमेन में दर्शनशास्त्र पढ़ाने का मौका मिला. हालांकि विभाजन की त्रासदियों का असर उन पर भी पड़ा लेकिन उन्होंने इसे खुद पर हावी होने देने की बजाय शरणार्थियों की मदद करने की ठानी. उन्होंने माता साहिब कौर दल का गठन करने में सहायता की और वह इसकी सचिव बनीं. इस दल ने पटियाला में करीब 400 परिवारों को पुनर्वास कराने में मदद की. लोगों को हर संभव मदद दी गई. यही नहीं इस दल ने 4 ट्रक कश्मीर और बारामूला भी पहुंचाए. वहां पटियाला की सेना स्थानीय लोगों की मदद के लिए गई थी. उन्होंने शरणार्थी बच्चों की पढ़ाई और ट्रेनिंग में भी मदद की.1955 में इंदरजीत कौर पटियाला के स्टेट कॉलेज ऑफ एजुकेशन में प्रोफेसर बन गई थीं. इसके बाद चंडीगढ़ के बेसिक कॉलेज में प्रोफेसर ऑफ एजुकेशन नियुक्त की गईं. बाद में इसी कॉलेज में वह वाइस प्रिंसिपल बनीं. बाद में वह पटियाला के गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वूमेन की प्रिंसिपल बनीं. इसके बाद वह अमृतसर में गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वूमेन की प्रिंसिपल बनीं और बाद में पंजाब यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर. वह उत्तर भारत में इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला मानी जाती हैं.उन्होंने रिटायरमेंट से कुछ समय पहले ही इस्तीफा दे दिया था. बाद में वह 1980 में केंद्र की नौकरियों में भर्ती करने वाले कर्मचारी चयन आयोग की पहली महिला अध्यक्ष बनीं. जनवरी 2022 में उनका निधन हो गया था लेकिन उन्होंने उस दौर के पुरुष प्रधान समाज में जिस तरह अपने लिए जगह बनाई, वो आज भी महिलाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है

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