ऋतुराज सिंह की कहानी आपको दिखाएगी कि कैसे कड़ी मेहनत और समर्पण से जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। ऋतुराज ने नारायण मूर्ति की इंफोसिस की नौकरी छोड़कर यूपीएससी सीएसई परीक्षा में पहली ही कोशिश में AIR 69 हासिल किया और आईएएस अधिकारी बने।
नारायण मूर्ति की इंफोसिस में नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा में पहली ही कोशिश में सफलता प्राप्त करने वाले ऋतुराज सिंह की कहानी वाकई प्रेरणादायक है। ऋतुराज का जन्म और पालन-पोषण झारखंड के साहिबगंज में एक शरणार्थी कॉलोनी में हुआ। उनके पिता गोकुल प्रसाद सिंह रेलवे के रिटायर कर्मचारी हैं। ऋतुराज ने साहिबगंज के सेंट जेवियर्स स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई की और दिल्ली से माध्यमिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद ऋतुराज सिंह ने बेंगलुरु से अपनी बी.
टेक की डिग्री पूरी की। बेंगलुरु में पढ़ाई के दौरान उन्हें इंफोसिस में काम करने का मौका मिला। नारायण मूर्ति की कंपनी में नौकरी की शुरुआत अच्छी रही लेकिन ऋतुराज की सफलता की कहानी यहाँ तक ही समाप्त नहीं हुई। उन्होंने अपनी अच्छी नौकरी छोड़ दी और दिल्ली चले गए, यूपीएससी सीएसई की तैयारी के लिए। कड़ी मेहनत के बाद, 2014 में उन्हें ऑल इंडिया रैंक (AIR) 69 मिली और वे आईएएस अधिकारी बन गए। ऋतुराज बताते हैं कि स्कूल के दिनों में पढ़ाई में वे बहुत अच्छे नहीं थे और पढ़ाई में उनकी कोई दिलचस्पी भी नहीं थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने परीक्षा से एक रात पहले ही पढ़ाई की थी, लेकिन बी.टेक की डिग्री हासिल करने में सफल रहे, जिससे उन्हें इंफोसिस और टेक महिंद्रा जैसी बड़ी टेक कंपनियों में नौकरी पाने में मदद मिली। ऋतुराज की तैयारी की स्ट्रेटजी में रात 8 बजे से रात 1 बजे तक पूरी तरह से पढ़ाई करना शामिल था और यह लगभग डेढ़ साल तक चला, जिससे उन्हें यूपीएससी सीएसई परीक्षा देने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास मिला।इसके बाद वे आईएएस अधिकारी के रूप में 10 साल पूरे कर चुके हैं और अब वे मध्य प्रदेश के देवास जिले के कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। इससे पहले, 2015 बैच के आईएएस अधिकारी ने भोपाल में जिला पंचायत के सीईओ के रूप में काम किया था। ऋतुराज के पिता रेलवे में ग्रेड तीन के कर्मचारी थे, जिन्होंने अपने बेटे की सफलता का क्रेडिट उसकी कड़ी मेहनत और समर्पण को दिया और कहा कि उन्हें हमेशा विश्वास था कि ऋतुराज अपने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण हासिल करेगा। उनकी कहानी एक प्रेरणा है कि जीवन में सफलता के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है
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