स्वीडिश पॉलिटिकल साइटिंस्ट और लेखक इश्तियाक अहमद ने कहा है कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना एक डेमोक्रेटिक नेता नहीं थे। उन्होंने जिन्ना के विचारों और कार्यों पर प्रकाश डाला है, जो उनके डेमोक्रेटिक विचारों के साथ असंगत हैं।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान ी मूल के स्वीडिश पॉलिटिकल साइटिंस्ट और लेखक इश्तियाक अहमद ने कहा है कि मोहम्मद अली जिन्ना कभी भी एक डेमोक्रेट यानी लोकतंत्र िक नेता नहीं थे। पाकिस्तान के संस्थापक और कायदे आजम कहे जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना पर बात करते हुए अहमद ने कहा साफ तौर पर कहा कि देश में लोकतंत्र के मजबूत ना हो पाने की बड़ी वजह वही हैं। स्टॉकहोम विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के एमेरिटस प्रोफेसर अहमद ने नया दौर टीवी से बात करते हुए ये दावे किए हैं। इश्तियाक अहमद पंजाब और भारत-पाक बंटवारे पर कई
किताबें लिख चुके हैं। अहमद की जिन्ना पर लिखी किताब कुछ समय पहले पब्लिश हुई है। इसी किताब पर उन्होंने नया दौर के पॉडकास्ट में बात की है।पाकिस्तान के पंजाब से ताल्लुक रखने वाले इश्तियाद अहमद ने कहा, 'जिन्ना के बारे में कई तरह की बातें होती रही हैं और उनको पाकिस्तान में एक डेमोक्रेट के तौर पर पेश किया जाता रहा है। मैंने जिन्ना की जिंदगी और विचारधारा के कुछ ऐसे पहलुओं को उजागर किया है, जिनसे पता चलता है कि उन्होंने कई दफा कट्टरपंथ का सहारा लिया। उनके तमाम ऐसे बयान भी हैं, जिनमें उन्होंने पाकिस्तान के इस्लामिक देश बनने की बात कही है। ये दिखाता है कि वो धर्मनिरपेक्ष नेता नहीं थे लेकिन उनकी सिर्फ उस स्पीच की ज्यादा बात होती है, जिसमें उन्होंने सेक्युलेरिज्म की बात की थी।''मौलवियों से फतवे दिलवाए गए'इश्तियाक अहमद ने आगे कहा, 'मुझे ये कहा जाता है कि मैं जिन्ना का विरोधी हूं लेकिन ऐसा नहीं है। मैं बस कुछ ऐसी बातें करता हूं, जिनको पाकिस्तान में लोग सुनना नहीं चाहते हैं या नजरअंदाज करते हैं। मैंने इस बात के लिए जिन्ना की तारीफ की है कि वह पाकिस्तान बनाने में कामयाब हुए। नेहरू, गांधी और मौलाना आजाद जैसे नेताओं से पार पाते हुए देश का बंटवारा कोई आसान नहीं था लेकिन जिन्ना ने ये कर दिखाया। ये उनके तेजतर्रार होने को दिखाता है। मैं उनके तेज दिमाग से इनकार नहीं करता लेकिन बंटवारे के दौरान जो तबाही हुई और जिस तरह जिन्ना ने सांप्रदायिकता का सहारा लिया, उस पर भी बात करना जरूरी है।'पाकिस्तान की मांग के आंदोलन पर बात करते हुए प्रोफेसर इश्तियाक ने कहा, 'जिन्ना ने मौलवियों को अपने साथ शामिल किया। मौलवियों ने फतवे दिए कि जो पाकिस्तान के हक में वोट नहीं देगा, उसका निकाह टूट जाएगा। पाकिस्तान के खिलाफ रहने वा
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