इसरो ने अपने ऐतिहासिक १००वें मिशन के तहत बुधवार तड़के एक उन्नत नेविगेशन उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) ने अपने ऐतिहासिक १००वें मिशन के तहत बुधवार तड़के एक उन्नत नेविगेशन उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह प्रक्षेपण इसरो के अध्यक्ष वी.
नारायणन के नेतृत्व में पहला मिशन है, जिन्होंने १३ जनवरी को पदभार संभाला था। यह २०२५ में इसरो का पहला मिशन है। इसरो की यात्रा छोटे से गांव थुंबा से शुरू हुई थी, जहाँ इसरो के संस्थापक केरल के तिरुवनंतपुरम में मछली पकड़ने वाले एक छोटे से गांव से अंतरिक्ष यान के अपने सफर का आरंभ किया था। इसरो ने अपना पहला प्रक्षेपण अमेरिका से आए साउंडिंग रॉकेट का किया था। तब से चंद्रमा और मंगल पर अंतरिक्ष यान लॉन्च करने तक, इसरो ने एक लंबा सफर तय किया है। इसरो की इस गौरवपूर्ण यात्रा पर एक नजर डालते हैं... श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए २७.३० घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार को शुरू हुई थी। उल्टी गिनती समाप्त होने के बाद स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) अपनी १७वीं उड़ान में नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-०२ को लेकर यहां दूसरे लॉन्च पैड से तड़के छः बजकर २३ मिनट पर प्रक्षेपित हुआ। यान ने लगभग १९ मिनट की यात्रा के बाद अपने पेलोड- एनवीएस-०२ नेविगेशन उपग्रह को वांछित भू-समकालीन स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। यह नेविगेशन उपग्रह 'नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन' (नाविक) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है, जिसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारतीय भूभाग से लगभग १,५०० किलोमीटर आगे के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना है। इससे पहले, २९ मई, २०२३ को जीएसएलवी-एफ१२ मिशन के तहत दूसरी पीढ़ी के पहले नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-०१ को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। इसरो ने कहा कि एनवीएस-०२ उपग्रह स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, कृषि संबंधी सटीक जानकारी देने, बेड़ा प्रबंधन, मोबाइल उपकरणों में स्थान आधारित सेवाएं देने, उपग्रहों के लिए कक्षा निर्धारण, 'इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स' आधारित ऐप्लीकेशन और आपातकालीन सेवाओं में सहयोग करेगा। 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' का तात्पर्य आपस में जुड़े उपकरणों के सामूहिक नेटवर्क और उपकरणों एवं क्लाउड के बीच संचार की सुविधा प्रदान करने वाली तकनीक से है। नाविक में दूसरी पीढ़ी के पांच उपग्रह शामिल हैं- एनवीएस-०१, एनवीएस ०२, एनवीएस ०३, एनवीएस ०४ और एनवीएस ०५। एनवीएस-२ को बेंगलुरू स्थित यू आर राव उपग्रह केंद्र ने डिजाइन और विकसित किया है। इसका वजन लगभग २,२५० किलोग्राम है। इसमें एल१, एल५ और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड है और इसमें 'ट्राई-बैंड एंटीना' लगा है
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