भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 के जरिए NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च किया। यह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में GPS जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से अरुणाचल तक का हिस्सा कवर करेगा। साथ ही साथ कोस्टल लाइन से 1500 किमी तक की दूरी भी कवर होगी। इससे हवाई, समुद्री और सड़क यात्रा के लिए बेहतर नेविगेशन हेल्प मिलेगी।
ऑर्बिट में स्थापित, इससे रीजनल नेविगेशन क्षमता बढ़ेगी; सतीश धवन सेंटर से 100वीं लॉन्चिंगयह मिशन ISRO चीफ वी नारायणन का भी पहला मिशन था, जिन्होंने हाल ही में पदभार संभाला है। साथ ही 2025 का भी पहला इवेंट है।
ISRO ने बताया कि NVS-02 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है। यह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में GPS जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। इसक पहला मिशन SLV-3 E1/ रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड के जरिए 10 अगस्त 1979 को लॉन्च किया गया था। तब से 30 दिसंबर 2024 तक SHAR लॉन्चिंग व्हीकल के जरिए 99 मिशन लॉन्च कर चुका है।नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन भारत का इंडिपेंडेंट रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। जिसे भारतीय यूजर को सही पोजीशन, वेलॉसिटी और टाइम सर्विस देने के लिए डिजाइन किया गया है। NVS-01/02/03/04/05 सैटेलाइट्स को इन्हीं सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के...
ISRO NVS-02 Navic GSLV-F15 नेविगेशन सिस्टम
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