डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि गन्ने की फसल किसानों के लिए बेहद भरोसेमंद फसल है. अगर किसान गन्ने की खेती परंपरागत विधि को छोड़कर ट्रेंच विधि से करें तो गन्ने की फसल को तैयार करने में कम लागत आती है. पानी की भी बचत होती है. इसके अलावा किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता है.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : किसानों के लिए गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल है जो कि चीनी का मुख्य स्रोत है. पूरी दुनिया में भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. तथा गन्ने की उपज में इसे दूसरा स्थान प्राप्त है. भारत में गन्ने की फसल की अनुमानित उत्पादकता 77.6 टन प्रति हेक्टेयर है तथा उत्पादन लगभग 306 मिलियन टन है, जो ब्राजील से कम है लेकिन अन्य देशों की तुलना में अधिक है. लेकिन किसान चाहें तो गन्ने की खेती के लिए उन्नत कृषि क्रियाओं को अपनाकर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. इस विधि से गन्ने की खेती करने में पूरे खेत में सिंचाई करनी होती है तो पानी की खपत भी ज्यादा होती है बल्कि दूसरी ट्रेंच विधि में ऐसा नहीं होता. परंपरागत विधि से गन्ने की बुवाई करने के लिए 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज की आवश्यकता होती है. परंपरागत तरीके से गन्ने की खेती करने से 600 से 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गन्ने का उत्पादन मिलता है. कम लागत में होगा 2.5 गुना उत्पादन डॉ.
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