दुनिया भर में मुसलमान धार्मिक भावनाओं के कारण अलग-अलग तरह के पशुओं की बलि देते रहे हैं. लेकिन दूसरे धर्म पशुबलि के बारे में क्या कहते हैं? यहूदी, ईसाई और हिंदू धर्म में पशुबलि को कैसे देखा जाता है?
इस्लाम मानने वालों के लिए शनिवार से ईद-उल-अज़हा यानी बकरीद या क़ुर्बानी का त्योहार शुरू हो रहा है. इस दिन मुसलमान याद करते हैं कि पैग़म्बर इब्राहिम अपना बेटा अल्लाह को क़ुर्बानी में देना चाहते थे लेकिन अल्लाह ने उन्हें रोक कर कहा कि वो बेटे के बजाय भेड़ की क़ुर्बानी दें.माना जाता है कि पैग़म्बर इब्राहिम ने एक रोज़ सपना देखा कि अल्लाह ने उनसे कहा है कि वो उनके प्रति अपनी वफ़ादारी स्थापित करने के लिए अपने बेटे इस्माइल की बलि दें.
वो कहते हैं, "आजकल हम लोग बलि देने की इस सब प्रथाओं का पालन नहीं करते क्योंकि जिन जगहों पर बलि दी जाती थी वो अब मौजूद नहीं है. बलि देने की बजाय हम अपनी प्रार्थना में बलि की बात याद करते हैं." यहूदी लोग अपनी प्रार्थना में एक बार फिर टेम्पल बनने की कामना करते हैं. उनका मानना है कि जब टेम्पल एक बार फिर बन जाएगा तो वो यहां पशुबलि दे सकेंगे.इसराइल के कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में 22 अप्रैल को ली गई इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि यहूदी पासओवर नाम के त्योहार में पशुबलि देते हैं.
बलि के इतिहास के बारे में डॉक्टर आर्टसन कहते हैं, "केवल उन्हीं जानवरों की बलि दी जा सकती थी जो कोशर हों. कुछ को बलि की वेदी पर जला दिया जाता था, कुछ को पुजारी के परिवारों को दे दिया जाता था और कुछ को बलि देने वाले लोग और उनके परिवार के लोग खुद खाया करते थे." रब्बी गैरी सोमर्स बताते हैं कि रोश हशनाह और योम किप्पुर जैसे अन्य त्योहारों में भी पशु बलि दी जाती थी.
डॉक्टर रीबेरो कहते हैं कि हालांकि बलि के लिए कोई धार्मिक प्रावधान नहीं है, लेकिन कई मामलों में "अगर कोई ईश्वर से वादा करता है या फिर उनसे कोई मन्नत मांगता है तो वो बलि देता है. इस तरह अलग तरीके से पशुबलि दी जाती है." हिंदू धर्म में पशुबलि के मुद्दे पर विवाद है, लेकिन हिंदुओं में कुछ वर्ग पशुबलि की प्रथा का पालन करते हैं.
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
Eid Ul Azha 2024: क्यों मनाई जाती है बकरीद, क्या है कुर्बानी का महत्व? जानें इस त्योहार से जुड़ी मान्यताEid Ul Azha 2024: ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा यानि बकरीद इस साल 17 जून 2024 को मनाई जाएगी. बकरीद इस्लाम के सबसे पवित्र त्योहारों में एक है. इस्लाम में साल भर में दो ईद मनाई जाती हैं. एक को ‘मीठी ईद’ कहा जाता है. और दूसरी को ‘बकरीद’.ईद सबसे प्रेम करने का संदेश देती है तो बकरीद अपना कर्तव्य निभाने का और अल्लाह पर विश्वास रखने का.
और पढो »
Eid-Ul-Adha 2024:16 या 17 जून कब मनाया जाएगा बकरीद का पर्व, जानें तारीख, क्यों दी जाती है ईद-उल-अजह़ा में कुर्बानी?Bakrid 2024: मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद को कुर्बानी और त्याग के रूप में हर साल मनाते हैं। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। जानें तारीख के साथ-साथ इसका इतिहास
और पढो »
Eid-Ul-Azaha 2024 Date: बकरीद कब है? क्यों दी जाती है कुर्बानी? क्या है ईद उल अजहा के इस्लामिक रीति रिवाज?Eid-Ul-Azaha 2024 Date: ईद उल-अज़हा यानि बकरीद मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम है, इस दिन लोग Watch video on ZeeNews Hindi
और पढो »
Eid Ul Adha 2024 Date : चांद दिखा, 17 जून को मनाया जाएगा ईद उल अजहा, जानिए क्यों दी जाती है कुर्बानीइस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए अल्लाह ने उनके सपने में आकर उनकी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने के लिए कहा।
और पढो »
Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी पर 100 साल का महासंयोग, शुभ मुहूर्त पर दान-पुण्य से मिलेगा धनलाभNirjala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि बेहद शुभ मानी जाती है. ये भगवान विष्णु को Watch video on ZeeNews Hindi
और पढो »
Ekadashi Vrat : जून में कब-कब पड़ रही है एकादशी, नोट कर लें तारीख, जानें शुभ मुहूर्तEkadashi 2024 : हिंदू धर्म में मान्यता है कि एकादशी के दिन व्रत और पूजा पाठ करने से हर तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
और पढो »