बीबीसी के हाथ लगे रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के दस्तावेज़ों से निका शकारामी की ज़िंदगी के आख़िरी घंटों के डरावने ब्योरे सामने आए हैं.
ईरान के सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारी की यौन उत्पीड़न के बाद की थी हत्या: ख़ुफ़िया दस्तावेज़ों ने खोला राज़ईरान में महिलाओं के सख़्त ड्रेस कोड के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान जब निका लापता हुई थीं, तो उनकी उम्र महज़ 16 बरस थीईरान के तीन सुरक्षा कर्मियों ने एक किशोर उम्र लड़की का यौन शोषण करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी.
हमने ईरान की सरकारी रिपोर्ट के आरोपों के बारे में वहां की सरकार और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स से जवाब मांगा. लेकिन, उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इस रिपोर्ट में ये भी स्वीकार किया गया है कि निका के पुरज़ोर विरोध की वजह से उसे गिरफ़्तार करने वाले सुरक्षाकर्मी भड़क गए और उन्होंने निका को डंडों से पीटा था.ईरान के बहुत से नक़ली सरकारी दस्तावेज़ भी चलन में हैं. इसीलिए, बीबीसी ने इस दस्तावेज़ में दर्ज बातों की कई महीनों तक दूसरे स्रोतों से तस्दीक़ करने की कोशिश की.
ईरान में 'औरत, ज़िंदगी, आज़ादी की मुहिम' नाम से चलाए गए ये विरोध प्रदर्शन निका की मौत के कुछ दिन पहले ही शुरू हुए थे.संयुक्त राष्ट्र के एक तहक़ीक़ात करने वाले मिशन के मुताबिक़ महसा अमीनी की मौत पुलिस हिरासत में लगी चोटों की वजह से हुई थी.निका के मामले की बात करें, तो उनके परिवार को उनकी लाश, प्रदर्शन के दौरान लापता होने के एक हफ़्ते से भी ज़्यादा वक़्त के बाद एक मुर्दाघर से मिली थी.
इस दस्तावेज़ की शुरुआत ये बताने से होती है कि उस दौरान विरोध प्रदर्शनों की निगरानी के लिए कई ख़ुफ़िया इकाइयां तैनात की गई थीं. निका वैन के पिछले हिस्से में टीम 12 के तीन सदस्यों- अराश कल्होर, सादेग़ मोंजाज़े और बहरूज़ सादेग़ी के साथ थीसुरक्षा बलों के इस गुट ने पहले कोई ऐसा ठिकाना तलाशने की कोशिश की, जहां वो निका को लेकर जा सकें.
उस नज़रबंदी शिविर के कमांडर ने जांच करने वालों को बताया कि "आरोपी लगातार गालियां दे रही थी और नारे लगा रही थी." हमें पता है कि मुर्तज़ा को क्या सुनाई दे रहा था. इसकी गवाही वो दस्तावेज़ देता है, जिसमें वैन के पिछले हिस्से में निका पर नज़र रखने वाले सुरक्षा कर्मियों का बयान दर्ज है.उनमें से एक, बहरूज़ सादेग़ी ने कहा कि जब नज़रबंदी शिविर ने उन सबको लौटा दिया और वो निका को दोबारा वैन में ले आए, तो निका ने गाली गलौज करना और चीख़ना शुरू कर दिया था.
उसने बताया कि इस बात से निका भड़क गई. जबकि उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे. मगर उसने इतनी ज़ोर से धक्का दिया कि मोंजाज़ी उसके ऊपर से गिर पड़ा."उसने मेरे मुंह पर लात मारी तो मुझे अपनी हिफ़ाज़त करनी पड़ी."उसने बताया कि उसने निका के चेहरे और सिर से ख़ून साफ किया, "दोनों ही अच्छी हालत में नहीं दिख रहे थे."अक्टूबर में बीबीसी पर्शियन ने निका का जो मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किया था, उसमें लिखा हुआ था कि निका की मौत "किसी मज़बूत चीज़ से बार बार पिटाई करने की वजह से आई चोटों से हुई थी.
नईम 16 ने जलील से कहा कि वो "उसे सड़क पर फेंक दे." जलील ने बताया कि उन्होंने निका की लाश को तेहरान के यादगार-ए-इमाम हाइवे की एक ख़ामोश गली में फेंक दिया. सरकारी चैनल की इस रिपोर्ट में एक शख़्स के सीसीटीवी की तस्वीरें भी दिखाई गई थीं. वो दावा कर रहा था कि निका एक बहुमंज़िला इमारत में दाख़िल हो रही थी और उसकी तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में क़ैद हो गई थी. लेकिन, निका की मां ने बीबीसी पर्शियन को फोन पर दिए इंटरव्यू में बताया था कि वो "किसी भी सूरत में इस बात की तस्दीक़ नहीं कर सकती थीं कि सीसीटीवी में दिख रही महिला निका ही थी."
हालांकि, इनमें से ज़्यादातर नक़ली दस्तावेज़ों का पता लगाना बहुत आसान है. क्योंकि, वो आधिकारिक रिपोर्ट के स्वरूप से बिल्कुल अलग होते हैं. उनमें शब्दों के बीच हाशिया ग़लत होता है. चिट्ठियों का शीर्षक अलग होता है या फिर उनमें व्याकरण और हिज्जे की कई ग़लतियां होती हैं. इसीलिए, इस दस्तावेज़ की प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए हमने इसे ईरान के एक पूर्व ख़ुफ़िया अधिकारी को दिखाया. उन्होंने सैकड़ों ऐसे वैध दस्तावेज़ देखे हुए हैं.
आईआरजीसी के आर्काइव तक उनकी ख़ास पहुंच ने हमें एक और रहस्य से पर्दा उठाने में भी मदद की. ये रहस्य 'नईम 16' नाम के उस अधिकारी का था, जिसने निका की लाश को फेंक देने का आदेश दिया था. इन लोगों को सज़ा क्यों नहीं दी गई, इसका एक संकेत ईरान के इस ख़ुफ़िया दस्तावेज़ में ही मिल जाता है. टीम 12 के सारे सदस्य जो इस सुनवाई के दौरान मौजूद थे, उन सबके नाम लिखे हुए हैं और इसके दाहिनी ओर उस संगठन का नाम दर्ज है, जिसके वो सदस्य हैं. वो नाम 'हिज़्बुल्लाह' का है.
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