उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार से भाजपा सांसदों के एयर ट्रैफिक कंट्रोल मामला में सवाल किए

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उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार से भाजपा सांसदों के एयर ट्रैफिक कंट्रोल मामला में सवाल किए
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उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार पर भाजपा सांसदों द्वारा देवघर हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सुरक्षा उल्लंघन मामले में सीआईडी द्वारा जांच कराने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला विमान अधिनियम के तहत आता है और इस पर कार्रवाई की जिम्मेदारी केवल डीजीसीए की है।

उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार से भाजपा सांसद ों द्वारा देवघर हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सुरक्षा उल्लंघन मामले में तीखे सवाल किए हैं। उच्चतम न्यायालय ने हेमंत सरकार से यह सवाल किया कि भाजपा सांसद ों की जांच नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ( डीजीसीए ) नहीं, बल्कि राज्य की आपराधिक जांच विभाग ( सीआईडी ) क्यों कर रही है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला विमान अधिनियम के तहत आता है और इस पर कार्रवाई की जिम्मेदारी केवल डीजीसीए की है। बता दें कि यह मामला झारखंड के देवघर जिले के कुंडा पुलिस स्टेशन में

भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। आरोप है कि इन सांसदों ने 31 अगस्त 2022 को देवघर हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) कर्मचारियों को सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने के लिए मजबूर किया, ताकि उनका चार्टर्ड विमान सूर्यास्त के बाद उड़ान भर सके। सीआईडी कैसे कर सकती है जांच- कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति ए एस ओका ने पूछा कि विमान अधिनियम के तहत कोई अपराध सीआईडी कैसे जांच सकती है। कोर्ट ने झारखंड सरकार से यह सवाल किया कि बिना पूर्व मंजूरी के जांच जारी रखी जा सकती है या नहीं। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने इस मामले में एफआईआर को रद्द कर दिया था, क्योंकि इसके मुताबिक विमान (संशोधन) अधिनियम 2020 के तहत लोकसभा सचिवालय से सांसदों के खिलाफ एफआईआर के लिए मंजूरी जरूरी है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय की सुनवाई में दुबे के वकील ने कहा था कि 31 अगस्त 2022 को विमान में थोड़ी देरी हुई थी, लेकिन विमानन नियमों के अनुसार सूर्यास्त के बाद आधे घंटे तक उड़ान भरी जा सकती थी। वकील का यह भी कहना था कि सांसदों को राजनीतिक प्रतिशोध के तहत झूठे आरोपों में फंसाया गया है

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