उत्तर प्रदेश में 1720 का ऐतिहासिक बावड़ी का खुलासा

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उत्तर प्रदेश में 1720 का ऐतिहासिक बावड़ी का खुलासा
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उत्तर प्रदेश के संभल में एक पुरातत्व सर्वेक्षण के दौरान 1720 का एक ऐतिहासिक बावड़ी का खुलासा हुआ है। बावड़ी सड़क के नीचे छिपी हुई थी और लगभग 15 फीट की खुदाई के बाद ही उसका पता चला।

उत्तर प्रदेश के संभल में एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की तरफ से एक के बाद एक खुलासे किए गए हैं.सर्वे का मंगलवार को 11 वां दिन था. एनडीटीवी की टीम ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर जानना चाहा कि अभी तक क्या-क्या मिले हैं. संभल से 25 किलोमीटर दूर चंदौसी में एतिहासिक बावड़ी मिली थी. सड़क के नीचे यह बावड़ी छिप गयी थी. हमारी टीम ने पाया कि अब तक इस मामले में 15 फीट की खुदाई हो चुकी है. अब तक कुएं तक पहुंचने का रास्ता खोज निकाला गया है.

खुदाई में पता चला है कि यह तीन मंजिला बावड़ी है.अब तक एक मंजिल की खुदाई हो चुकी है. इसके नीचे एक मंजिल और है जहां तक पहुंचने की कोशिश जारी है. अब तक की खुदाई में कई तरह के मध्यकालीन साक्ष्य मिले हैं. कुछ घड़ा मिला है. जानकारों का कहना है कि यह मध्यकालीन संरचना है. जानकारी के अनुसार इसका निर्माण 1720 में हुआ था. यहां से तकरीबन 50 किलोमीटर स्थित एक रियासत के द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था. इस रियासत के वंसज राजा चंद्र विजय सिंह ने दावा किया है कि उनके पूर्वजों ने इसका निर्माण करवाया था. मिट्टी में दबे होने के बाद भी यह बेहद मजबूत हालत में है अभी भी. इसमें अलग-अलग कमरों का भी निर्माण किया गया है. चंद्र विजय सिंह की तरफ से दावा किया गया है कि जब सेना यहां आती थी तो वो यहां से पानी निकालने का काम किया करती थी. बावड़ी के निर्माण में कई बातों का ध्यान रखा जाता था. कई बार रानियां भी बावड़ी में नहाने के लिए आती थी. अधिकारियों का कहना है कि लगभग 400 वर्ग मीटर में ये पूरी बावड़ी फैली हुई है. अभी पूरे इलाके में खुदाई का कार्य जारी है. मिट्टी डालकर सबूत खत्म करने की हुई कोशिशइस बावड़ी के ऊपर मिट्टी डालकर जमीन माफियाओं ने बेच दिया था. अभी खुदाई का कार्य जारी है. जैसे-जैसे मिट्टी को हटाया जा रहा है कई रहस्य निकलकर सामने आ रहे हैं. बावड़ी का फर्श लाल पत्थर से बना हुआ ह

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