2024 उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ, समान नागरिक संहिता को लेकर विवाद, दंगाइयों को रोकने के कानून और कई दुर्घटनाओं ने राज्य को प्रभावित किया।
देहरादून: साल 2000 में उत्तराखंड की स्थापना होने के बाद से इसके सामाजिक- राजनीति क इतिहास में वर्ष 2024 को सबसे महत्वपूर्ण वर्ष कहना गलत नहीं होगा। उत्तराखंड सरकार ने इस साल समान नागरिक संहिता के लिए कानून पारित किया, जिससे यह देश में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया। समान नागरिक संहिता , एक ऐसा मुद्दा है जिस पर तीखी बहस हुई है और इस पर लोगों की राय अलग-अलग है। वैसे तो भाजपा सरकार के राजनीति क और विधायी एजेंडे में समान नागरिक संहिता केंद्र में और प्रमुख मुद्दा रहा है, लेकिन इसने संभावित दंगाइयों को
रोकने के लिए एक कानून भी बनाया है। इस कानून के तहत, किसी भी उपद्रव के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई सरकार दंगाइयों से करेगी। उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित होने के ठीक एक दिन बाद हल्द्वानी के मुस्लिम बहुल बनभूलपुरा क्षेत्र में आठ फरवरी को हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद ही उत्तराखंड सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम को लागू किया गया था।हल्द्वानी मदरसा को लेकर दंगाहल्द्वानी में एक अवैध मदरसा और उसके परिसर में नमाज अदा करने के लिए बनाए गए एक छोटे से ढांचे को गिराए जाने से दंगा भड़क गया था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 100 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे। सुदूर हिमालय में जून 2024 में ट्रैकिंग करते समय बर्फीला तूफान आने के कारण भारत के नौ पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी।केदारघाटी में अगले महीने यानी जुलाई में चारधाम यात्रा के दौरान भारी बारिश और कई बार भूस्खलन होने से 17 लोगों की मौत हो गई थी और 25 लोग घायल हो गए थे। लाखों यात्री फंस गए थे, जिसके बाद यात्रा को स्थगित कर दिया गया। उत्तराखंड के लिए नवंबर का महीना घातक साबित हुआ क्योंकि इस दौरान हुई दो दुर्घटनाओं में 45 लोगों की मौत हो गई थी। अल्मोड़ा में चार नवंबर को खचाखच भरी एक बस के गहरी खाई में गिर जाने से 36 लोगों की मौत हो गई थी।भाजपा का राष्ट्रीय स्तर का एजेंडाअल्मोड़ा में हुई इस घटना के ठीक एक सप्ताह बाद दूसरी दर्दनाक घटना हुई, जिसमें एक पार्टी से लौट रहे युवाओं की इनोवा कार एक ट्रक से टकरा गई, जिससे कार में मौजूद सभी छह लोगों की मौत हो गई। इस वर्ष उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण 240 से अधिक तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई थी
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