उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर-2025 का उद्घाटन किया। उन्होंने युवाओं को राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने पांच प्रमुख मूल्यों - सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक प्रबोधन, पर्यावरण चेतना, आत्मनिर्भरता और नागरिक कर्तव्य - को राष्ट्रीय परिवर्तन की नींव बताया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर-2025 का उद्घाटन किया। उन्होंने युवा ओं से कहा कि दुनिया का कोई भी देश तब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक उसके नागरिक राष्ट्रवाद के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध न हों। राष्ट्रवाद को हमारे सभी हितों चाहे व्यक्तिगत हो या संगठनात्मक से ऊपर होना चाहिए। अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में इन गुणों को बनाए रखें। आपकी पीढ़ी 2047 तक भारत के गौरव का निर्माण करेगी। उन्होंने कहा कि आप देश के बेहतरीन युवा ओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। एनसीसी
में आपकी सदस्यता एक अत्यधिक अनुशासित बल के तौर पर आपको उन गुणों को आत्मसात करने में सक्षम बनाती है जो मानव विकास के लिए आवश्यक हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय परिवर्तन की नींव पांच प्रमुख स्तंभों पर टिकी है। इसमें सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक प्रबोधन, पर्यावरण चेतना, आत्मनिर्भरता और नागरिक कर्तव्य शामिल हैं। सामाजिक सद्भाव विविधता को राष्ट्रीय एकता में बदलता है इसकी आज के समय में आवश्यकता है। जमीनी स्तर पर देशभक्ति के मूल्यों को पोषित करना हमारे पारिवारिक प्रबोधन का हिस्सा होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। उसका संरक्षण और सृजन करना चाहिए। स्वदेशी और आत्मनिर्भरता आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक हैं और हमें इन्हें बढ़ावा देना चाहिए। नागरिक कर्तव्य प्रत्येक नागरिक को प्रगति का पथ प्रदर्शक बनाते हैं। ये पंच प्राण हमारी संस्कृति में रच-बसकर, व्यक्तिगत जिम्मेदारी, पारंपरिक मूल्यों और एकता की ओर यात्रा को प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि ये पांच मूल्य जिम्मेदारी और चेतना के माध्यम से एक मजबूत राष्ट्रवादी भावना का निर्माण करेंगे। इनका प्रतिदिन अभ्यास करें और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए राष्ट्र विरोधी ताकतों के खिलाफ सतर्क रहें। मातृभूमि के प्रति हमारा समर्पण दृढ़ और अडिग होना चाहिए, क्योंकि यह हमारे अस्तित्व का आधार है। चुनौतियां इसलिए पैदा होती हैं क्योंकि राष्ट्र पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर प्रशंसित वृद्धि देख रहा है जिससे दुनिया ईर्ष्या करती है और हर नागरिक पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हम राष्ट्रीय आशावाद के दौर में जी रहे हैं, क्योंकि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है
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