Rajasthan Tonk Malpura Violence Story Explained Part 2 ; भास्कर की स्पेशल सीरीज 'मालपुरा का सच' के पार्ट 1 में आपने उन चश्मदीदों की आपबीती पढ़ी जिन्होंने साल 2000 के दंगों में अपनों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा।
एक ही वकील ने लड़े मालपुरा दंगे के दोनों केस, फिर क्यों आए अलग फैसले, पार्ट-2के पार्ट 1 में आपने उन चश्मदीदों की आपबीती पढ़ी जिन्होंने साल 2000 के दंगों में अपनों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा। दंगों में 12 लोग मारे गए थे। पीड़ितों को न्याय के लिए 24 साल तक लड़ाई लड़नी पड़ी।में पढ़िए एक केस में सभी आरोपियों को सजा तो दूसरे केस में सभी 5 आरोपियों को बरी क्यों कर दिया?पहले वो केस जिसमें 8 दंगाइयों को उम्रकैद...
इसके बाद वहां खड़ी भीड़ उन पर टूट पड़ी। मैंने और मेरी देवरानी ने उन्हें खूब बचाने का प्रयास किया, लेकिन भीड़ के आगे हम बेबस थे। इसके बाद उन्हें मरणासन्न हालत में छोड़ कर ये सब वहां से टोड़ा रोड की तरफ चले गए।इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई। इन्वेस्टिगेशन के बाद इस्लाम, मोहम्मद इशाक, अब्दुल रज्जाक, इरशाद, मोहम्मद जफ़र, साजिद अली, बिलाल अहमद और मोहम्मद हबीब के खिलाफ IPC की धारा 302, 147,148 और 149 के तहत आरोपों को प्रमाणित मान चार्जशीट कोर्ट में पेश की गई थी। इसके बाद मोहम्मद हबीब को भी इस केस...
आखिर में कोर्ट ने इसी आधार पर 2 दिसंबर 2024 को इस केस में फैसला देते हुए इस्लाम, मोहम्मद इशाक, अब्दुल रज्जाक, इरशाद, मोहम्मद जफ़र, साजिद अली, बिलाल अहमद और मोहम्मद हबीब को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।मालपुरा के मनोज माली ने 11 जुलाई 2000 को पुलिस में रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया कि एक दिन पहले दोपहर में बद्री गुर्जर ने मुझे फोन किया था कि झालरा तालाब के पास रामद्वारा के सामने तुम्हारे पापा के साथ मारपीट हो रही...
11 जुलाई को उनका अंतिम संस्कार करने के बाद प्रत्यक्षदर्शियों से हुई बातचीत के बाद मनोज और दूसरे परिजन थाने पर पहुंचे। वहां सीआईडी सीबी के अधिकारियों के सामने आसिफ मास्टर, मोहम्मद हसीब, फिरोज, उमर और अब्दुल वहाब के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दी। इतना ही नहीं कैलाश के बेटे की तरफ से भी हत्या के दिन अलग रिपोर्ट और एक दिन बाद दी गई अलग रिपोर्ट ने भी कोर्ट के मन में संदेह पैदा कर दिया था। ऐसे में कोर्ट ने 2 दिसंबर 2024 को ही इसी मामले में फैसला देते हुए सभी 5 आरोपियों आसिफ मास्टर, मोहम्मद हसीब, फिरोज, उमर और अब्दुल वहाब को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
कैलाश के बेटे मनोज माली ने बताया कि इस फैसले से हम संतुष्ट नहीं हैं। फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। सुप्रीम कोर्ट तक न्याय के लिए दरवाजे खटखटाएंगे।
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