यह खबर एल्यूमीनियम फॉयल में खाना पैक करने के स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों पर प्रकाश डालती है। एल्यूमीनियम से बने टॉक्सिक सब्सटेंस खाने में मिलने से पाचन समस्याएं, किडनी और हड्डियों को नुकसान, साथ ही कॉग्निटिव फंक्शन और ब्रेन हेल्थ पर भी असर डाल सकते हैं। खासकर एसिडिक फूड के साथ एल्यूमीनियम फॉयल का इस्तेमाल और भी खतरनाक हो सकता है।
का स्कूल टिफिन पैक करना हो या ऑफिस के लिए लंच बॉक्स, खाने को रैप करने के लिए एल्यूमीनियम फॉयल का इस्तेमाल बहुत आम है। इसमें खाना लंबे समय तक गर्म और ताजा बना रहता है। हालांकि एल्यूमीनियम फॉयल में खाना पैक करना सही है या नहीं, इसे लेकर हमेशा से ही दोहरा मत रहा है।
नेशनल एनवायर्नमेंट हेल्थ एसोसिएशन के मुताबिक, एल्यूमीनियम फॉयल का इस्तेमाल खाना पकाने या पैक करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन ये पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। खासकर एल्यूमीनियम के टॉक्सिक सब्सटेंस टमाटर और सिरका जैसी खट्टी चीजों में मिल सकते हैं। गर्म आंच में इसका जोखिम और बढ़ जाता है।में बात करेंगे कि एल्यूमीनियम फॉयल में खाना पैक करना कितना सुरक्षित है? साथ ही जानेंगे कि-एक्सपर्ट: डॉ.
पूड़ी, पकौड़े या भटूरे जैसी तली हुई चीजों से एक्स्ट्रा ऑयल को सोखने के लिए न्यूजपेपर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसकी जगह किचन टिशू या पेपर नैपकिन का इस्तेमाल करना बेहतर है। ये ऑयल को अच्छी तरह से सोख लेते हैं और सुरक्षित होते हैं।कुछ लोग अपने दिन भर के शेड्यूल में इतने व्यस्त होते हैं कि खाना खाने के लिए भी वक्त नहीं निकाल पाते हैं। जबकि हर निवाले को कम-से-कम 32 बार चबाना चाहिए। खाने को कम चबाने का खामियाजा हमारी सेहत को चुकाना पड़ता है।सरकार कभी खुद फोन करके लोन नहीं देती, जानें अप्लाय करने का...
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