खूंटाघाट बांध का निर्माण 1920 में ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा किया गया था. उन्होंने क्षेत्र की वार्षिक वर्षा के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए इसका डिज़ाइन तैयार किया. उस समय की औसत वार्षिक वर्षा 1368 मिमी थी. यह बांध उस दौर में सिंचाई और जल संग्रहण के लिए बनाया गया था.
बिलासपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर रतनपुर के पास स्थित खूंटाघाट बांध, जिसे खारंग जलाशय के नाम से भी जाना जाता है, सर्दियों के मौसम में सैकड़ों पर्यटक ों को अपनी ओर आकर्षित करता है. शांत वातावरण, मनमोहक प्राकृतिक दृश्य और प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट इसे एक विशेष पर्यटन स्थल बनाते हैं. ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित यह बांध न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अद्वितीय है. खूंटाघाट जलाशय में बड़ी संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं.
इसके अलावा, जलाशय के बीच स्थित टापू हर साल हजारों प्रवासी पक्षियों का ठिकाना बनता है. ये पक्षी यहां आकर वंश बढ़ाते हैं. सैलानी इन पक्षियों को दूरबीन, मोबाइल या कैमरे से देख सकते हैं और उनकी तस्वीरें लेते हैं. पक्षियों का कलरव और जलाशय का शांत वातावरण सैलानियों को बार-बार यहां आने के लिए प्रेरित करता है. आज यह ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित हो चुका है. खूंटाघाट बांध का शांत और सुरम्य वातावरण इसे पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है.
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