अगर आपका बच्चा भी फोन बहुत इस्तेमाल कर रहा है या बहुत ज़्यादा ऑनलाइन रहता है तो आपको ये स्टोरी ज़रूर पढ़नी चाहिए.
आज बच्चे पहले के मुकाबले कम उम्र में इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और दुनिया में हर आधे सेकेंड में एक बच्चा ऑनलाइन होता है.
आंकड़े दिखाते हैं कि दुनिया में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में कम उम्र वालों का सबसे ज़्यादा योगदान है. 2023 में दुनिया भर में 15 से 24 साल के 79 प्रतिशत लोग ऑनलाइन हो रहे थे, जो बाक़ी आबादी से 65 प्रतिशत ज़्यादा है. यूनिसेफ़ के मुताबिक़, ''बच्चों का यौन शोषण करने वालों के लिए अपने शिकार से ऑनलाइन संपर्क करना आज ज़्यादा आसान हो गया है. वो बड़ी आसानी से ऐसी तस्वीरें साझा कर सकते हैं और दूसरों को भी ऐसे अपराध करने के लिए उकसा सकते हैं. 25 देशों में लगभग 80 प्रतिशत बच्चों ने ऑनलाइन दुनिया में यौन शोषण या बुरे बर्ताव के ख़तरों की शिकायत की है.''अपने बच्चों पर नज़र रखने के लिए मां-बाप के पास ऐसे कई उपाय उपलब्ध हैं, जो बच्चों को परेशान करने वाले या अनुचित कंटेंट को ब्लॉक कर देते हैं.
ब्रिटेन स्थित कुछ बड़ी इंटरनेट कंपनियों ने मिलकर इंटरनेट मैटर्स नाम से सुरक्षा का एक संगठन बनाया है. इंटरनल मैटर्स ने ऐसे उपलब्ध तकनीकी औज़ारों की एक लिस्ट तैयार की है. और, इसके साथ साथ इसने इन तकनीकी टूल्स के क़दम दर क़दम इस्तेमाल के लिए एक गाइड भी बनाई है. एप्पल ने इसके लिए स्क्रीन टाइम का टूल दिया है. गूगल फैमिली लिंक के नाम से इसके लिए ऐप देता है. वहीं दूसरे डेवेलपर्स ने भी ऐसे कई ऐप उपलब्ध कराए हैं.वहीं, गेमिंग के कंसोल की सेटिंग के ज़रिए बच्चों के मां-बाप उनकी उम्र के मुताबिक़ गेम खेलने की सीमा तय कर सकते हैं और गेम खेलने के दौरान ख़रीदारी पर रोक लगा सकते हैं.
प्रोफ़ेसर वुडवार्ड कहते हैं, ''फिर बच्चे इस रोकथाम से बचने का कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेंगे. फिर चाहे इसके लिए उन्हें वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का इस्तेमाल करना पड़े, जहां उन्हें ऐसी पाबंदियों से बचने का मौक़ा मिल जाता है. या फिर वो किसी दूसरे के लॉगिन के ज़रिए वो सब देखने लगते हैं.''हाल के वर्षों में विनियमन की संस्थाओं ने निजता के ऐसे क़ानून लागू करने पर ज़ोर देना तेज़ कर दिया है, जिनसे बच्चों की ऑनलाइन दुनिया में हिफ़ाज़त हो सके.
अमेरिका के कुछ क़ानून, इंटरनेट तक बच्चों की पहुंच की निगरानी के लिए मां-बाप की ज़िम्मेदारियों पर ज़ोर डालते हैं. दुनिया भर में एक्टिविस्ट और अभिभावक तकनीकी कंपनियों को ये ज़िम्मेदारी लेने या फिर ऐसे मंच तैयार करने का दबाव बना रही हैं, जो बच्चों और कम उम्र के यूज़र के लिए ‘बनावट में ही सुरक्षित’ हों. सुनवाई के दौरान मार्क ज़करबर्ग ने कहा था, ‘आप सबको जिन हालात से गुज़रना पड़ा उसके लिए मैं माफ़ी मांगता हूं. आपके परिवारों को जिन चीज़ों का सामना करना पड़ा, उसकी तक़लीफ़ किसी को भी नहीं झेलनी चाहिए.’
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