यह लेख ऑड्रे हेपबर्न की असाधारण कहानी पर प्रकाश डालता है, जो एक ऑस्कर विजेता एक्ट्रेस थीं जो नाज़ी कब्ज़े के दौरान डच प्रतिरोध के लिए बहादुरी से काम करती थीं.
एक ऑस्कर विजेता एक्ट्रेस, जो नीदरलैंड में पली-बढ़ी थीं. एक समय वहां नाज़ियों का कब्ज़ा हो गया था. वो टीनेजर थीं, मगर उन्होंने डच प्रतिरोध के लिए बहादुरी से संदेश दिए. पर निकोला कफ़लन इतिहास में ऐसे युवाओं की असाधारण कहानियों पर बात करती हैं, जिन्होंने अपनी हिम्मत से दुनिया बदल दी. इसका हालिया एपिसोड ऑड्रे हेपबर्न पर केंद्रित था. वह साल 1950 और 60 के दशक में फ़िल्म और फ़ैशन की दुनिया में एक आइकॉन बन चुकी थीं. उनको पाँच बार ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था.
साल 1953 में ऑड्रे हेपबर्न ने रोमन हॉलिडे में बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का ऑस्कर अवॉर्ड भी जीता था. उन्होंने नाज़ियों के कब्ज़े के दौरान डच प्रतिरोध के लिए धन जुटाने के मकसद से गोपनीय ढंग से बैले डांस प्रस्तुत किया था. हेपबर्न का जन्म ब्रसेल्स में साल 1929 में हुआ था. उनकी मां एला वैन हेमस्ट्रा एक डच महिला थीं और उनके पिता जोसेफ़ हेपबर्न रस्टन एक ब्रिटिश-ऑस्ट्रियन बिजनेसमैन थे. उनके माता-पिता का झुकाव ओसवाल्ड मोस्ले की ओर था, जो ब्रिटिश यूनियन ऑफ़ फ़ासिस्ट्स के नेता थे. वैन हेमस्ट्रा ने बीयूएफ़ की मैगज़ीन के लिए एक लेख लिखा था. इसमें उन्होंने नाज़ी जर्मनी की प्रतिष्ठा को जैसे देखा था, उसके बारे में बताया था. हेपबर्न-रस्टन छह साल के थे, जब वो अपना परिवार छोड़ चुके थे. बाद में उनको गिरफ़्तार कर लिया गया था. उन पर 'विदेशी फ़ासीवादियों का एक सहयोगी होने का आरोप' था. इसके बाद युद्ध के दौरान वो पूरे समय तक जेल में रहे थे. एक्ट्रेस के सबसे छोटे बेटे लुका डॉटी ने रॉबर्ट मैटज़ेन को बताया, 'एक छोटी बच्ची होने के बावजूद, वो बेहद मुखर थीं. हंसना, खेलना और अभिनय करना उन्हें पसंद था. मेरी दादी मां उनको 'मंकी पज़ल' कहकर बुलाती थीं.' रॉबर्ट मैटज़ेन डच गर्ल के लेखक हैं. उन्होंने हिस्ट्रीज़ यंगेस्ट हीरोज़ के लिए किए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ऑड्रे हेपबर्न की ज़िंदगी कैसी रही थ
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