Haryana Vidhan Sabha Election 2024 Special Series - 1976 की बात है। चौधरी देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। उन दिनों जिंदल ग्रुप के मालिक ओम प्रकाश जिंदल हिसार में अपना उद्योग जमा रहे थे
देवीलाल ने बिजली काटी तो राजनीति में उतरे; बेटा BJP सांसद, पत्नी का टिकट कटा1976 की बात है। चौधरी देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। उन दिनों जिंदल ग्रुप के मालिक ओम प्रकाश जिंदल हिसार में अपना उद्योग जमा रहे थे। कुछ मुद्दों को लेकर देवीलाल से उनकी तकरार थी। एक दिन जिंदल ने कहा- ‘देवीलाल क्या कर लेंगे, मैं उनसे नहीं डरता।’
7 अगस्त 1930, गांधी जी का सविनय अवज्ञा आंदोलन चरम पर था। इसी दिन दिल्ली से 161 किलोमीटर दूर हिसार के नलवा में नेतराम जिंदल और चंद्रावली जिंदल के घर एक बेटे का जन्म हुआ, नाम रखा गया ओम प्रकाश जिंदल। इतिहासकार डॉ. एमएम जुनेजा अपनी किताब ‘शून्य से शिखर’ में लिखते हैं- ‘ 1951 की बात है। ओपी तब कोलकाता में थे। एक दिन वे खेतों में घूम रहे थे। एक खेत में उन्हें पाइप का एक ढेर दिखा। जिस पर ‘मेड इन इंग्लैंड‘ लिखा हुआ था। ओपी ने कहा कि इन पाइपों का इस्तेमाल भारत में हो रहा है, तो ये पाइप तो भारत बनाए क्यों नहीं जा सकते।
दो साल बाद यानी, 1962 में उन्होंने जिंदल इंडिया लिमिटेड नाम से एक फैक्ट्री खोली। इसके बाद 1969 में जिंदल स्ट्रिप्स लिमिटेड की शुरुआत की। आज इसका नाम स्टेनलेस है। ओपी ने बंसीलाल की पार्टी के टिकट पर 1991 में हरियाणा विधानसभा चुनाव का चुनाव लड़ा। दूसरी तरफ कांग्रेस से ओमप्रकाश महाजन प्रत्याशी थे। चौधरी भजनलाल का उन्हें पूरा समर्थन था। भजनलाल ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था, लेकिन जिंदल चुनाव जीत गए।
ओपी जिंदल बीड़ी पीते थे। वे अपने प्लांट्स में भी बनियान पहनकर बीड़ी पीते हुए दिख जाते थे। उन्हें भूने हुए चने बहुत पसंद थे। खाली वक्त में टीवी या सिनेमा देखने के बजाय वे मन बहलाने के लिए दोस्तों के साथ ताश खेलते थे।कर्नाटक के जिंदल प्लांट में अपने कर्मचारियों से बात करते ओपी जिंदल। साथ में उनके बेटे सज्जन जिंदल भी हैं।1 अप्रैल 2005, ओपी जिंदल को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होना था। सुबह 11:30 में उनके हेलिकॉप्टर चंडीगढ़ एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भरी।...
ओपी जिंदल 2004 में बेटे नवीन जिंदल को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना चुके थे, लेकिन उनकी मौत के बाद विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सावित्री जिंदल ने उठाई। वह जिंदल की मौत के बाद खाली हुई हिसार सीट से विधायक बनीं। 2009 में दोबारा सावित्री ने हिसार विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। इस बार उन्हें कांग्रेस की हुड्डा सरकार में नगर निकाय मंत्री भी बनाया गया।
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