कनाडा में 20,000 भारतीय छात्र 'नो-शो', क्या अमेरिका जाने की कोशिश कर रहे हैं?

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कनाडा में 20,000 भारतीय छात्र 'नो-शो', क्या अमेरिका जाने की कोशिश कर रहे हैं?
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कनाडा में पढ़ाई करने वाले 50,000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से लगभग 6.9 प्रतिशत मार्च-अप्रैल 2024 में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अनुपस्थित रहे। भारतीय छात्रों में 'नो-शो' दर सबसे अधिक है, जहाँ 19,852 छात्र नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये छात्र कनाडा में रहने और काम करने की उम्मीद कर रहे हैं।

कनाडा में स्टडी परमिट प्राप्त करने वाले लगभग 50,000 अंतरराष्ट्रीय छात्र पिछले साल (2024 में) वसंत के दो महीनों (मार्च और अप्रैल) में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ' नो-शो ' के रूप में चिह्नित किए गए। नो-शो का मतलब कॉलेजों में छात्रों की अनुपस्थिति को लेकर है। दावे के मुताबिक, इन छात्रों में एक बड़ी संख्या भारतीय छात्र ों की भी है। कनाडा पहुंचे लगभग 20,000 भारतीय छात्र वहां कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अनुपस्थित रहे। कनाडा ई सरकार के आव्रजन मामलों को देखने वाले डिपार्टमेंट 'इमिग्रेशन, रिफ्यूजी

एंड सिटीजनशिप कनाडा' (IRCC) के हवाले से एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।द ग्लोब एंड मेल ने आईआरसीसी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उपस्थिति के नियम का पालन न करने वाले छात्र कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या का 6.9 प्रतिशत थे।आव्रजन विभाग की ओर से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को साल में दो बार रिपोर्ट देने की आवश्यकता होती है कि क्या उनके यहां अंतरराष्ट्रीय छात्र नामांकित हैं और वे अपने स्टडी परमिट का पालन करते हुए कक्षाओं में जा रहे हैं।19,852 भारतीय छात्र नहीं कर रहे नियमों का पालन कनाडा में 2014 में इंटरनेशनल स्टूडेंट कम्प्लायंस रिजाइम लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य फर्जी छात्रों को पहचानने में मदद करने और संदिग्ध स्कूलों की पहचान करने में प्रांतों की सहायता करना था। मार्च और अप्रैल 2024 के दौरान शैक्षणिक संस्थानों ने 144 देशों के छात्रों के बारे में आईआरसीसी को सूचना दी, जिसमें गैर-अनुपालन दर में व्यापक रूप से भिन्नता थी। भारत के मामले में 3,27,646 छात्र नियमों का पालन कर रहे थे, जबकि 19,852 छात्र नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इसके अलावा, 12,553 भारतीय छात्रों के बारे में संस्थानों ने जानकारी नहीं दी।आव्रजन मामले के विशेषज्ञ ने छात्रों के बारे में जताया यह अनुमानपूर्व संघीय अर्थशास्त्री और आव्रजन मामलों के विशेषज्ञ हेनरी लोटिन ने कहा कि सिस्टम के दुरुपयोग को कम करने का एक तरीका यह होगा कि कनाडा आने से पहले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को फीस का अग्रिम भुगतान करना पड़े। कंसल्टेंसी फर्म इंटीग्रेटिव ट्रेड एंड इकोनॉमिक्स के संस्थापक लोटिन ने कहा कि अपने स्कूलों में अनुपस्थित रहने वाले अधिकांश भारतीय छात्र संभवतः सीमा पार करके अमेरिका नहीं गए थे, बल्कि हो सकता है कि वे अब भी कनाडा में काम कर रहे थे और यहीं बसने का लक्ष्य बना रहे थे। पिछले साल कनाडा में शरण मांगने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई थी। लोटिन ने कहा, ''बहुत कम लोग अमेरिका जा रहे हैं। अधिकांश लोग काम करना चाहते हैं और कनाडा के स्थायी निवासी बनना चाहते हैं।''पिछले महीने भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा था कि वह कनाडा की सीमा से भारतीयों की अमेरिका में तस्करी से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कुछ कनाडाई कॉलेजों और कुछ भारतीय इकाइयों की कथित संलिप्तता की जांच कर रहा है। कनाडा में अपनी पढ़ाई जारी रखने के बजाय ये छात्र कथित तौर पर अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर गए।ईडी की जांच गुजरात के डिंगुचा गांव के रहने वाले चार सदस्यीय भारतीय परिवार की मौत के बाद शुरू हुई थी। चारों की मौत 19 जनवरी, 2022 को कथित तौर पर कनाडा-अमेरिका सीमा को अवैध रूप से पार करते समय अत्यधिक ठंड से हुई थी

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