कर्नाटक नक्सल मुक्त: एक सफलता की कहानी

राजनीति समाचार

कर्नाटक नक्सल मुक्त: एक सफलता की कहानी
नक्सलवादकर्नाटकसरकार
  • 📰 Amar Ujala
  • ⏱ Reading Time:
  • 141 sec. here
  • 11 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 84%
  • Publisher: 51%

कर्नाटक के नक्सल मुक्ति अभियान की सफलता की कहानी। इसमें नक्सलवाद के इतिहास, पुलिस और सरकार की कोशिशों, नक्सलियों के आत्मसमर्पण और अंत में नक्सल मुक्ति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

कर्नाटक में नक्सलवाद का इतिहास लगभग पांच दशक पुराना है। 2000 के दशक में कर्नाटक में नक्सलवाद के हिंसक रूप ने अपने पराकाष्ठा को छू लिया। 2005 में कबिनाले के हेब्री में पुलिस जीप में बमबारी का मामला, 2007 में अगुंबे में एक सब-इंस्पेक्टर की हत्या और 2008 में नादपलु में भोज शेट्टी और उनके रिश्तेदार सदाशिव शेट्टी की हत्या जैसे कई हिंसक घटनाएं हुईं। पुलिस की चौकसी और सरकार की माओवाद को खत्म करने की कोशिशों के बावजूद, नक्सल घटनाएं लगातार सिर उठाती रहीं। हालांकि, 2010 में केंद्र सरकार ने कर्नाटक

को नक्सल प्रभावित से आजाद करार दिया, मुख्यतः मलनाड क्षेत्र में कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो कर्नाटक में इसका प्रभाव काफी कम रहा।कर्नाटक में अलग-अलग सरकारों के नेतृत्व में नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने की कोशिशें जारी रहीं। इन कोशिशों के चलते 2016 में नौ नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। इसके ठीक बाद 19 नक्सलियों का एक समूह पड़ोसी राज्य केरल में चला गया। पुलिस ने इनकी खोज की कोशिश जारी रखीं। कर्नाटक लौटने की कोशिश के दौरान सुरक्षाबलों ने नक्सल नेतृत्व के कई चेहरों को मार गिराया गया। केंद्र सरकार भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान में तेजी दिखाती रही और 2023 में पश्चिमी घाट जोनल कमेटी के प्रमुख संजय दीपक राव को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया। दो महीने बाद ही आंध्र प्रदेश की नक्सल कविता उर्फ लक्ष्मी को एनकाउंटर में मार गिराया गया। केरल के माओवादी संगठनों से मदद मिलना बंद होने के कारण कर्नाटक के नक्सल संगठन को नाकामी की वजह से कर्नाटक के नक्सल संगठन को केरल के माओवादी संगठनों से मदद मिलनी बंद हो गई। इस फूट का कर्नाटक के नक्सल-रोधी दस्ते को फायदा मिला। बीते साल नवंबर में कर्नाटक में नक्सलियों के सरगना विक्रम गौड़ा के पश्चिमी घाट से लगे एक क्षेत्र में लौटने की जानकारी मिली। एएनएफ ने यहां जाल बिछाकर विक्रम गौड़ा को मार गिराया। विक्रम पर 100 से ज्यादा केस थे और वह कर्नाटक में नक्सलवाद को बढ़ाने वाला प्रमुख चेहरा था। 2024 में जब केरल भागे आठ नक्सली कर्नाटक लौटे, तो पुलिस, खुफिया एजेंसियों और कर्नाटक के नक्सल-रोधी बल (ANF) का नेटवर्क सक्रिय रहा। इस नेटवर्क ने इन सभी नक्सलियों से आत्मसमर्पण कराने का लक्ष्य रखा। पुलिस को कर्नाटक को नक्सल मुक्त बनाने में सबसे बड़ी सफलता फरवरी 2024 में मिली, जब उसने माओवादी नेता अंगाड़ी सुरेश उर्फ प्रदीप को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया। 49 वर्षीय सुरेश सीपीआई (माओवादी) के पश्चिमी घाट जोनल कमेटी का हिस्सा रहा था। पकड़े जाने के बाद उसने जेल से ही अपनी पत्नी और बागी वंजाक्षी को चिट्ठी लिखी और उससे सरेंडर करने की अपील की। पुलिस ने इस चिट्ठी को पश्चिमी घाट पर स्थित कई गांवों में बांटना शुरू किया। उन्हें उम्मीद थी कि अगर वंजाक्षी को सरेंडर करने पर मजबूर कर लिया गया तो बाकी नक्सलियों को पकड़ना आसान हो जाएगा। आखिरकार 8 जनवरी 2025 को वंजाक्षी और 5 अन्य नक्सलियों ने बंगलूरू में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के दफ्तर के बाहर सरेंडर कर दिया। नक्सलियों के इस बड़े आत्मसमर्पण के बाद कर्नाटक सरकार को सिर्फ कोतेहुंडा रविंद्र की तलाश थी, जिसे कर्नाटक का आखिरी बचा नक्सल करार दिया गया था। अब बीते हफ्ते रविंद्र की गिरफ्तारी के बाद कर्नाटक नक्सल मुक्त करार दे दिया गया है। सरकार ने नक्सलियों को सरेंडर करने के बदले तीन किस्तों में 7.5 लाख रुपये का सहायता पैकेज देने की घोषणा की। हालांकि, उनके सामने अपने ऊपर दर्ज केसों का सामना करने की शर्त रखी गई। राज्य सरकार ने उन्हें कानूनी मदद मुहैया कराने का वादा किया। सरकार की इस योजना के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को एक साल के लिए कौशल विकास ट्रेनिंग और 5000 रुपये की मासिक सहायता देने का भी वादा किया गया। औपचारिक शिक्षा लेने की स्थिति में उनकी यह सहायता दो साल तक जारी रखने का भरोसा दिया गया।

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

Amar Ujala /  🏆 12. in İN

नक्सलवाद कर्नाटक सरकार पुलिस आत्मसमर्पण माओवादी सफलता

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

फल पेरेंट्स से क्या सीख सकते हैं|फल पेरेंट्स से क्या सीख सकते हैं|बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के पिता की सफलता की कहानी से हम सीख सकते हैं कि जीवन में असफलता भी एक सफलता की सीढ़ी साबित हो सकती है।
और पढो »

नक्सल-मुक्त हुआ कर्नाटक... अंतिम नक्सली लक्ष्मी ने किया सरेंडर, बताया क्यों बदला मननक्सल-मुक्त हुआ कर्नाटक... अंतिम नक्सली लक्ष्मी ने किया सरेंडर, बताया क्यों बदला मनकर्नाटक अब नक्सल मुक्त राज्य घोषित हो गया है। रविवार को उडुपी की डिप्टी कमिश्नर विद्या कुमारी और एसपी अरुण के.
और पढो »

बिहार की बेटी श्वेता भारती ने बिना कोचिंग के पास की UPSCबिहार की बेटी श्वेता भारती ने बिना कोचिंग के पास की UPSCआईएएस श्वेता भारती की सफलता की कहानी एक प्रेरणा है। उन्होंने 9 घंटे की नौकरी के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और 2021 में 356वीं रैंक के साथ सफल रहीं।
और पढो »

विराज बहल: फूड बिजनेस में सफलता के सफरविराज बहल: फूड बिजनेस में सफलता के सफरशार्क टैंक इंडिया के नए जज विराज बहल के फूड बिजनेस से जुड़ी सफलता की कहानी
और पढो »

केजीएफ स्टार यश: एक साधारण बस ड्राइवर के बेटे से सुपरस्टार तक की यात्राकेजीएफ स्टार यश: एक साधारण बस ड्राइवर के बेटे से सुपरस्टार तक की यात्रायश की सफलता की कहानी सिर्फ एक फिल्म स्टार की नहीं, बल्कि एक साधारण व्यक्ति की सफलता की कहानी है। इस लेख में यश के जीवन की यात्रा को दर्शाया गया है, उनके संघर्षों, कठिनाइयों और अंततः अपनी सफलता की कहानी।
और पढो »

कर्नाटक में किसान ने तेंदुए को पूंछ पकड़कर बांध दियाकर्नाटक में किसान ने तेंदुए को पूंछ पकड़कर बांध दियातुमकुरु जिले में एक किसान के द्वारा तेंदुए को पकड़ने की कहानी वीरता की है.
और पढो »



Render Time: 2025-02-15 10:06:36