माघ मास के दौरान संगम तट पर कल्पवास की परंपरा, आत्मशुद्धि और पापों से मुक्ति का पवित्र माध्यम है.
कल्पवास हिंदू धर्म की एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें माघ मास के दौरान संगम तट पर निवास कर श्रद्धालु साधना, व्रत और पूजा-पाठ करते हैं. इसे आत्मशुद्धि और पापों से मुक्ति का सबसे पवित्र माध्यम माना जाता है. संगम क्षेत्र में हजारों तंबुओं की व्यवस्था की जा रही है. श्रद्धालुओं के लिए बिजली, पानी और स्वच्छता जैसी सुविधाओं का खास ध्यान रखा जा रहा है. इसके साथ ही, घाटों और अन्य क्षेत्रों की सफाई और व्यवस्था को प्राथमिकता दी जा रही है.
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस बल, सीसीटीवी कैमरे और वॉलंटियर्स की तैनाती की गई है. यहां जल पुलिस और गोताखोर हर समय तैयार रहेंगे. साथ ही, चिकित्सा कैंप और आपातकालीन सेवाएं भी उपलब्ध रहेंगी. महाकुंभ में कल्पवास के समय जिन चूल्हों पर खाना पकाया जाता है उन चूल्हों को भी तैयार किया जा रहा है. साथ ही भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और सत्संग जैसे आध्यात्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं. इनमें प्रसिद्ध संत-महात्मा भाग लेंगे और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देंगे. गंगा स्नान के लिए विशेष घाट बनाए गए हैं. परिवहन के लिए विशेष ट्रेन और बस सेवाएं चलाई जा रही हैं. श्रद्धालुओं से स्वच्छता, अनुशासन और कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की गई है
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