कांग्रेस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष के रूप में वी. रामसुब्रमण्यम की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है, इसे एक 'पूर्व निर्धारित कवायद' बताते हुए चयन प्रक्रिया को निंदा की है.
सुप्रिम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी. रामसुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( एनएचआरसी ) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस ने एक असहमति पत्र में चयन प्रक्रिया को एक ‘पूर्व निर्धारित कवायद’ कहा, जो मौलिक रूप से त्रुटिपूर्ण था. साथ ही कहा कि समिति ने ‘नामों को अंतिम रूप देने के लिए अपने संख्यात्मक बहुमत पर भरोसा किया’ और ‘देश की क्षेत्र, जाति, समुदाय और धार्मिक विविधता’ के संतुलन को नजरअंदाज कर दिया गया.
के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने एक संयुक्त असहमति पत्र में कहा, ‘यह एक पूर्व निर्धारित कवायद था, जिसमें आपसी परामर्श और आम सहमति की स्थापित परंपरा को नजरअंदाज किया गया, जो ऐसे मामलों में आवश्यक है. पत्र में कहा गया है, ‘यह बदलाव निष्पक्षता और निष्पक्षता के सिद्धांतों को कमजोर करता है, जो चयन समिति की विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण हैं. विचार-विमर्श को बढ़ावा देने और सामूहिक निर्णय सुनिश्चित करने के बजाय समिति ने नामों को अंतिम रूप देने के लिए अपने संख्यात्मक बहरोसा किया. बैठक के दौरान उठाए गए वैध चिंताओं और दृष्टिकोणों की अनदेखी की.’ राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता तथा राज्यसभा के उपसभापति होते हैं. पत्र के अनुसार, दोनों कांग्रेस नेताओं ने ‘योग्यता और समावेशिता की आवश्यकता दोनों को ध्यान में रखते हुए’ अध्यक्ष पद के लिए जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस कुट्टीयल मैथ्यू जोसेफ के नाम प्रस्तावित किए थे. नरीमन पारसी समुदाय से हैं, जबकि जोसेफ ईसाई हैं. पत्र में कहा गया है कि एनएचआरसी सदस्यों के पदों के लिए उन्होंने जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस अकील अब्दुल हमीद कुरैशी की सिफारिश की क्योंकि दोनों के पास मानव अधिकारों को बनाए रखने में अनुकरणीय रिकॉर्ड है. जस्टिस मुरलीधर 2023 में ओडिशा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए और इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया. दिल्ली हाईकोर्ट केके रूप में उन्होंने 26 फरवरी, 2020 को राजधानी में हुए दंगों के दौरान चार महत्वपूर्ण आदेश पारित कि
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