भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ दायर मामलों में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है। कांग्रेस का तर्क है कि अधिनियम धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए आवश्यक है और इसकी पारित होने की कानूनी वैधता का बचाव करना आवश्यक है।
भारत ीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ दायर मामलों में हस्तक्षेप की मांग की है। यह कानून धार्मिक स्थलों के 15 अगस्त 1947 को मौजूद स्वरूप को उसी तरह संरक्षित करता है। कांग्रेस का तर्क है कि संसद ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (POWA) पारित किया था, और इसका पारित होना भारत ीय जनता के जनादेश को दर्शाता है। पार्टी ने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी निर्वाचित सदस्यों के माध्यम से अधिनियम पेश किया था और एक्ट को पारित कराने के लिए जिम्मेदार थी।
ऐसे में उन्हें अब अधिनियम की पारित होने की कानूनी वैधता का बचाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए यह अधिनियम आवश्यक है। कांग्रेस के आवेदन में कहा गया है कि POWA की परिकल्पना 1991 से पहले की गई थी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को अपने तत्कालीन चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा बनाया था। कांग्रेस ने इस बार जोर दिया कि देश में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 बेहद जरूरी है। कांग्रेस का मानना है कि अभी प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के विरुद्ध मामले इसलिए दायर किए जा रहे हैं, क्योंकि कुछ लोग धर्मनिरपेक्षता के स्थापित सिद्धांतों को कमजोर करना चाहते हैं
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