दिल्ली चुनावों में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी की स्थिति का विश्लेषण।
सबसे पीछे है कांग्रेस तीनों प्रमुख पार्टियों के लिए चुनौती बनी 29 सीटों में कांग्रेस सबसे पीछे है। वह 17 सीटों पर खाता नहीं खोल पाई है, जबकि भाजपा 12 सीटों पर जीत हासिल करने में नाकाम रही है और पिछले दो चुनाव में कांग्रेस व भाजपा का सूपड़ा साफ करने वाली आम आदमी पार्टी एक सीट पर जीत नहीं सकी है। इन सीटों में शामिल मटिया महल सीट ऐसी है जिस पर कांग्रेस और भाजपा दोनों अब तक जीत दर्ज नहीं कर सकी हैं। इस सीट पर आम आदमी पार्टी दो बार जीत चुकी है। इस क्षेत्र से छह बार विधायक रहे शोएब इकबाल एक बार आम
आदमी पार्टी और पांच बार अन्य पार्टियों से जीतने में कामयाब हुए हैं। वह एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के दौरान हार गए थे। इसी तरह बदरपुर सीट पर कई बार जीतने वाले रामवीर सिंह बिधूड़ी व राम सिंह नेताजी को कांग्रेस के टिकट पर जीत नसीब नहीं हुई। वह अन्य पार्टियों के टिकट व निर्दलीय के उम्मीदवार के तौर पर जीतने में कामयाब रहे। कांग्रेस की चुनौतीपूर्ण सीटें दिल्ली में तीन बार सरकार बना चुकी कांग्रेस बुराड़ी, रिठाला, मुंडका, किराड़ी, रोहिणी, शालीमार बाग, मटिया महल, मोती नगर, हरी नगर, जनकपुरी, बिजवासन, संगम विहार, ग्रेटर कैलाश, बदरपुर, कृष्णा नगर, गोकलपुर और करावल नगर जैसी 17 सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है। ये सीटें कांग्रेस के पुनरुत्थान की राह में बड़ी बाधा बनी हुई हैं। भाजपा की मुश्किलें दिल्ली में भाजपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत है और पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ है। इसके बावजूद भाजपा अब भी सुल्तानपुर माजरा, मंगोलपुरी, मटिया महल, बल्लीमारान, विकासपुरी, नई दिल्ली, जंगपुरा, देवली, अंबेडकर नगर, ओखला, कोंडली और सीलमपुर जैसी 12 सीटों पर जीत दर्ज करने में असफल रही है। खासतौर पर नई दिल्ली और जंगपुरा जैसी सीटें भाजपा के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं। भाजपा की गढ़ विश्वास नगर आप की चुनौती पिछले दो चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में भारी बहुमत हासिल किया है। लेकिन विश्वास नगर सीट पर पार्टी का खाता अब तक नहीं खुला है। इस सीट पर भाजपा का मजबूत गढ़ है, जो आप के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है
कांग्रेस भाजपा आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव चुनावी परिणाम
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