काकोरी में बाघ का आतंक, एक लाख से अधिक लोगों की जिंदगी पटरी से उतरती

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काकोरी में बाघ का आतंक, एक लाख से अधिक लोगों की जिंदगी पटरी से उतरती
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बाघ का आतंक काकोरी के लोगों की जिंदगी में खलल पैदा कर रहा है। एक महीने से बाघ की दहशत में जी रहे लोग घबराहट में हैं।

अजय श्रीवास्तव, लखनऊ। बाघ आया है, यह सुनते ही शुक्रवार दोपहर काकोरी के उलरापुर में भगदड़ मच गई। कोई गोद में बच्चा लेकर भागा तो किसी ने मवेशियों को अंदर कर दिया। दरअसल रहमान खेड़ा में बाघ होने की सूचना पर वन विभाग टीम की अचानक सक्रियता बढ़ी तो उसका असर पड़ोस के उलरापुर तक दिखा। दरवाजे बंद हो गए, लेकिन जब लोगों की आवाजाही धीरे-धीरे दिखी तो लोग बाहर निकले। एक महीने से बाघ की गुर्राहट 15 गांवों में सुनाई दे रही है। इससे लोगों को हर समय डर लगा रहता है कि कहीं बाघ न आ जाए। एक लाख से अधिक लोगों को

जिंदगी पटरी से उतरती दिख रही है। एक-एक दिन बीतने के साथ ही उनके सामने रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। गांवों का दौरा दैनिक जागरण की टीम ने शुक्रवार को बाघ की दहशत से प्रभावित गांवों का दौरा किया तो वहां दिन में ही अघोषित कर्फ्यू जैसा नजारा दिखा, जबकि सूरज ढलने के साथ ही नजारा घोषित कर्फ्यू जैसा हो रहा था। अलाव और घर का चूल्हा जलाने के लिए उलरापुर के उसी जंगल से लकड़ी बटोर कर घर पहुंचीं रामावती के चेहरे पर गुस्से के भाव थे। उन्‍होंने कहा कि बहुत डर लग रहा है। बच्चे घरों में कैद रहते हैं और पेट की खातिर लकड़ी बटोरने जाना पड़ता है। वन विभाग नहीं कर रहा कोई भी प्रयास शाम पांच बजे के बाद कोई भी बाहर नहीं दिखता है। उलरापुर में पशुओं का दाना लेकर जा रहीं राजेश्वरी कहती हैं कि बाघ को पकड़ने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। घर के पास तक बाघ आ चुका है। बाघ के डर से काम धंधा बंद हो गया तो खुद की तरह मवेशियों को बचाने की अधिक चिंता सताने लगी है। इसी गांव में मंदिर के पास रहने वाले गजराज यादव ने तो कई बार बाघ को देखा, लेकिन वन विभाग से नाराज दिखे। यह भी पढ़ें: लखनऊ के काकोरी में बाघ का आतंक, अब सांड का किया शिकार; दबोचने के लिए रखी जा रही नजर उन्‍होंने कहा कि कुछ दिन पहले बाघ बैठा था, फोन पर वन विभाग को सूचना दी, लेकिन कोई देखने भी नहीं आया। वन विभाग ने चार मोबाइल नंबर जारी किए हैं, लेकिन वन दारोगा का ही नंबर उठता है। वन विभाग की टीम एक दो बार आई है, जबकि सबसे अधिक बाघ दुलारपुर में ही आया है। एक माह से बाघ की दहशत में जी रहे लोगों की जिंदगी भी डरावनी सी हो गई है। कोई आहट मिलते ही लोग सतर्क हो जा रहे हैं। रोजगार के लिए दिन में ही निकलते हैं और अंधेरा होने से पहले ही घरों में

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