देश में लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं। बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों के राजनेता में जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चा तो है लेकिन कोई ठोस पहल नहीं दिखती है। साल 2024 भारत के लिए सबसे गर्म साल होने वाला है। ऐसे में जरूरी है कि राजनीतिक दल और राजनेता इसके महत्व को...
मृदुला रमेश: देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या जलवायु परिवर्तन भारत के सबसे गर्म वर्ष में आखिरकार एक चुनावी मुद्दा बन गया है? यदि ऐसा होता, तो क्या राजनेता आरक्षण और मुफ्त सुविधाओं की तरह ही गर्मी, सूखा और बाढ़ से बचाव के बारे में भी चिल्लाते नहीं होते? ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है, क्या ऐसा है? और फिर भी, पार्टी घोषणापत्र जलवायु से परिपूर्ण हो गए हैं। भाजपा के घोषणापत्र में 'जलवायु' का 6 बार, 'हरित' का 13 बार और जलवायु की दृश्य अभिव्यक्ति, 'पानी' का...
धरती पर बरस रहे अंगारे, गर्मी ने तोड़े सारे रेकॉर्ड, भारत से लेकर ब्रिटेन तक 50 देशों के चुनावों पर पड़ रहा असर2018-19 में, महाराष्ट्र के किसानों को बिजली सब्सिडी में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक मिले। इससे राजनेता मतदाताओं के हितों पर काम करते नजर आ रहे हैं। लेकिन क्या इससे 'सूखा ठीक हो गया'? काफी नहीं। 2019 में, राज्य में किसानों की आत्महत्या में वृद्धि हुई, लगभग 4,000 किसानों ने अपनी जान ले ली। भारत के कपास रकबे के एक तिहाई हिस्से के साथ महाराष्ट्र ने 2020 में कपास क्षेत्र का केवल 2.
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