कौन बनाता है, कितनी है एक बूंद की कीमत?
चुनावी दिनों में उंगली पर नीले निशान के साथ लोगों की सेल्फी सोशल मीडिया पर ट्रेंड बन जाती है, लेकिन क्या आप उस नीली स्याही की कहानी जानते हैं.वोट देते समय आपकी उंगली पर जो स्याही लगाई जाती है, वो आती कहां से है? उस स्याही को बनाता कौन है? उसकी कितनी कीमत है, क्यों आपके हाथों पर लगाई जाती है ?इस स्याही की कहानी 1962 से शुरू होती है. इसे बनाने वाली कंपनी भी आज तक एक ही है. मैसूर के इस स्याही का सफर शुरू होता है, जो पूरे देश में हर चुनाव पर पहुंचता है.
इसका नाम बदलकर मैसूर लाक एंड पेंट्स लिमिटेड रखा गया, जो नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री की मदद से स्याही तैयार करती है.स्याही की एक शीशी 10 ml की होती है, जिससे कम से कम 700 उंगलियों पर पक्की स्याही लगाई जा सकती है. एक शीशी की कीमत 127 रुपये है.यानी 1 लीटर की कीमत करीब 12,700 रुपये होगी. एक ml यानी एक बूंद की कीमत करीब 12.7 रुपये के करीब बैठेगी.1962 के लोकसभा चुनाव में पारदर्शिता और फर्जी वोटिंग रोकने के लिए ऊंगली पर स्याही लगाने की शुरुआत हुई. जिसके बाद से नियम बन गया.
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