Kumbh Mela: कुंभ मेले और आजादी के आंदोलन का गहरा संबंध रहा है. कुंभ मेला एक ऐसा अवसर हुआ करता था जहां भारतीय खासकर हिंदू समाज एकत्रित हुआ करता था.ऐसे में आंदोलनकारियों के लिए आम जन को अंग्रेजों की करतूतों के बारे में बताना आसान होता था. कुँभ मेले में आम लोगों को जागरूक किया जाता था.
सर्दी आते ही सताने लगा कफ, तो अभी करें ये घरेलू उपाय, गले से फेफड़े तक होंगे साफ Kumbh Mela : प्रयागराज में अगले साल कुंभ होना है जिसे लेकर अभी से श्रद्धालुओं में उत्सुकता देखी जा सकती है. कुंभ मेले में बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री कुंभनगरी पहुंचेंगे और पवित्र नदी में डुबकी लगाएंगे. कुंभ स्नान का सनातन धर्म में अपना एक विशेष महत्व रहा है इसलिए यहां तीर्थयात्रियों के अलावा बड़ी संख्या में साधु संत भी पहुंचते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि कुंभ मेले का आजादी के आंदोलन से गहरा नाता रहा है.
इस विद्रोह ने ही 1857 के विद्रोह को जन्म दिया और पहला स्वतंत्रता संग्राम लड़ा गया. प्रयागवालों ने अंग्रेजी सरकार का विरोध किया और उसके खिलाफ अभियान चलाया. आपको बता दें कि उस समय अंग्रेज ईसाई मिशनरियों का समर्थन किया करते थे. ये मिशनरी कुंभ तीर्थयात्रियों को अज्ञानी बताते थे और धर्म परिवर्तन कराने का काम किया. यहां तक कि 1857 के विद्रोह के दौरान, कर्नल नील ने कुंभ मेले की जगह पर बमबारी तक करवा दी. उस समय प्रयागवाल यहां रहा करते इस वजह से भी इस जगह को निशाना बनाया गया. यह बमबारी आज भी कुख्यात है.
उस समय अंग्रेजों ने बड़ा क्रूर व्यवहार किया था. फिर इसके बाद प्रयागवालों ने इलाहाबाद में मिशन प्रेस और चर्चों को निशाना बनाया. एक बार जब अंग्रेजों को यहां नियंत्रण हासिल हो गया तो उन्होंने प्रयागवालों को बहुत सताया. यहां तक कि कुछ को फांसी पर लटका दिया गया. अंग्रेजों ने गंगा-यमुना संगम के पास कुंभ मेले की भूमि के बड़े हिस्से को जब्त कर लिया था और सरकारी छावनी में शामिल कर लिया था.
1857 के बाद के वर्षों में, प्रयागवालों और कुंभ मेले के तीर्थयात्रियों ने अंग्रेजों का विरोध किया और नस्लीय उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई. बाद में ब्रिटिश मीडिया ने कुंभ मेले में तीर्थयात्रियों की सभाओं और विरोध प्रदर्शनों को गलत तरीके से रिपोर्ट किया था. कुंभ मेला 1947 तक स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा. यह एक ऐसा स्थान था जहां स्थानीय लोग और राजनेता समय-समय पर बड़ी संख्या में इकट्ठा होते थे.
1906 में, सनातन धर्म सभा ने प्रयाग कुंभ मेले में मुलाकात की और मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय शुरू करने का संकल्प लिया था.
Kumbh 2025 Kumbh Mela And Indian Independence Movement
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