कुंभ में बिछड़ों को मिला रहा भारत सेवा दल: 1946 के कुंभ में हुई थी शुरुआत, इस बार डिजिटल केंद्र के साथ तालमे...

Prayagraj Kumbh Mela 2025 समाचार

कुंभ में बिछड़ों को मिला रहा भारत सेवा दल: 1946 के कुंभ में हुई थी शुरुआत, इस बार डिजिटल केंद्र के साथ तालमे...
Mahakumbh Mela 2025Kumbh Mela Lost-And-Found CampsKhoya-Paya Camps खोया पाया केंद्र
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Uttar Pradesh Prayagraj MahaKumbh Mela 2025 Bharat Seva Dal Digital Centres; 60 साल के अखिलेश अपनी पत्नी आशा के साथ महाकुंभ मेला आए। पत्नी ने स्नान किया और वापस आ गई। अखिलेश स्नान करने नदी में उतरे, इधर भीड़ बढ़ गई। खोया पाया केंद्र

1946 के कुंभ में हुई थी शुरुआत, इस बार डिजिटल केंद्र के साथ तालमेल कर दे रहा सेवाएं60 साल के अखिलेश अपनी पत्नी आशा के साथ महाकुंभ मेला आए। पत्नी ने स्नान किया और वापस आ गई। अखिलेश स्नान करने नदी में उतरे, इधर भीड़ बढ़ गई। पुलिस ने लोगों को जल्दी से घाट छोड़ने को कहा। अफरा-तफरी के बीच अखिलेश और आशा बिछड़ गए। अखिलेश के शरीर पर नाममात्र ही कपड़े थे। दूसरी तरफ आशा झोला उठाकर उन्हें इधर से उधर खोज रही...

ये भारत सेवा दल का खोया-पाया केंद्र है। इसमें रोज सैकड़ों लोग अपनों से बिछड़ने वाले का नाम पुकरवाने आ रहे हैं।प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर-4 में त्रिवेणी मार्ग पर भारत सेवा दल का भूले-भटके शिविर है। 1946 में पहली बार इसी जगह पर इस शिविर की शुरुआत हुई थी। कोई ताम-झाम नहीं। आज भी काउंटर लगाकर 2 लोग बैठ जाते हैं।

अखिलेश कहते हैं, बिहार से संगम स्नान के लिए आए थे। पत्नी आशा देवी के अलावा कई और लोग साथ थे। संगम घाट पर सब नहाने के लिए गए तो हम कपड़ा देखने के लिए रुक गए। वो लोग नहाकर आए और कपड़ा चेंज करने लगे, तब हम नहाने के लिए गए। नदी के अंदर उतर गए, लेकिन तभी भीड़ आ गई। पुलिस लोगों से घाट खाली करने को कहने लगी।

अशोक उनसे कहते हैं, 'चिल्लाओ मत, धीरे-धीरे बोलो, जब घर से चली या चले थे तब तुम्हारे साथ बिटिया-बेटवा-दामाद चला था? उसका नाम बताओ। इनका गउना का नाम बताओ। और जो जानकारी है वह बताओ।' वह कहते हैं, 'मैं लोगों को मिलाने के लिए ही दिल्ली से यहां आया हूं। पहले हम लोगों का नाम पर्ची में लिखते हैं, फिर उनका नाम पुकारते हैं।’

हमने डिजिटल के बारे में पूछा तो वह कहते हैं, उनके सभी 10 खोया पाया केंद्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोई एक खोता है तो सभी 10 स्थानों पर दिख जाता है। इसलिए हम लोग भी पर्ची लेकर उनके पास भेजते हैं, अगर कोई व्यक्ति अपनों को खोजते हुए किसी और सेंटर पर पहुंच गया है तो वहां से वह पता कर पाएगा कि फला व्यक्ति कहां है। बाकी हमारे यहां हर व्यक्ति के लिए रहने-खाने की व्यवस्था है।ये डिजिटल खोया पाया केंद्र का काउंटर है। यहां लोग बिछड़ने वाले का डिटेल दर्ज कराते...

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